सुपौल। कोसी-मैची इंटरलॉकिंग परियोजना सहित नेपाल प्रभाग से निकलने वाली अन्य नदियों को जोड़कर एक साथ इंटरलॉकिंग किया जाएगा। जिससे पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर लोगों को कोसी नदी से स्थायी निदान हो पाएगा। बाढ़ में हर साल सरकार का करोड़ों रुपए खर्च होता है। स्थायी निदान होने के बाद बाढ प्रभावित क्षेत्रों में सरकार को राशि खर्च नहीं करनी पड़ेगी। उक्त बातें सांसद दिलेश्वर कामैत ने रविवार को भपटियाही में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही। क्षेत्रीय भ्रमण पर निकले सांसद, विधायकों ने पूर्वी कोसी तटबंध किनारे बसे गोरीपट्टी गांव के लोगों से बाढ़ की पानी एवं सीपेज की समस्यायों को गंभीरता पूर्वक सुनी तथा लोगों से रुबरु हुए। तटबंध किनारे बसे दर्जनों लोगों ने कहा कि हमलोगों की सबसे बड़ी समस्या कोशी नदी का बाढ़ और सीपेज के कारण प्रत्येक वर्ष बाढ़ के समय गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है। जिस कारण घर आंगन में पानी प्रवेश कर जाता है। इस पर सांसद व विधायक ने आश्वासन दिया कि जल्द ही समस्याओं का स्थाई समाधान होगा। साथ ही प्रशासनिक स्तर पर राहत व बचाव कार्य जारी है। हर संभव सहायता प्रदान किया जाएगा। इसके बाद लौकहा पंचायत स्थित कोढली गांव के कोशी नदी किनारे रुककर पानी के बहाव व बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया। स्थानीय लोगों से बाढ़ प्रभावित इलाकों के बारे में जानकारी प्राप्त कर समस्याओं से अवगत हुए। कोसी की समस्या को लेकर संसद में भी बात रखी गई है।
निर्मली विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव ने कहा कि नेपाल तरफ से आने वाली विभिन्न नदियां नदी के दोनों तरफ इंटर लॉकिंग बनाए जाने की आवश्यकता है। धरातल पर उतारने के लिए सरकार कार्य कर रही है। इसके लिए 60 प्रतिशत कार्य कर लिया गया है। बांकी बचे कार्य पर सरकार गंभीर है। उन्होंने कहा कि भारत व राज्य सरकार कोशी नदी के स्थायी निदान पर तेज़ी से कार्य कर रही है।
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