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अररिया : तनाव प्रबंधन पर सीपीओएस के अध्यक्ष ने दिया व्याख्यान, बताए टिप्स

  • कहा- मेडिटेशन तनाव का स्थाई समाधान नहीं, जीवन की सच्चाई को समझना जरूरी
 


अररिया। सीपीओएस यानि सेंटर फॉर पीस एंड ऑब्जेक्टिव स्टडीज पटना के अध्यक्ष एएचएम दानियाल इन दिनों जिले के भ्रमण पर हैं और तनाव प्रबंधन पर व्याख्यान दे रहे हैं। इसी क्रम में जीरोमाइल स्थित शाही पैलेस में उन्होंने इस विषय पर बुद्धिजीवियों को संबोधित किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिपादित परिभाषा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि तनाव किसी मुश्किल या प्रतिकूल परिस्थिति में पैदा एक मानसिक स्थिति है। मेंटल स्टेट है। 

उन्होंने कहा कि उनके स्कूल ऑफ थॉट के मुताबिक मेडिटेशन तनाव से छुटकारा का कारगर समाधान नहीं है। हां, क्षणिक लाभ मिल सकता है। तनाव प्रबंधन के सिलसिले के सब से अहम बात ये है कि लोग जीवन की सच्चाई को समझें और इसी आलोक में तनाव प्रबंधन का उपाय ढूंढना होगा। जीवन की एक बड़ी सच्चाई ये है कि जीवन का सफर कभी आसान नहीं होता। 

कुरआन और हदीस का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि खालिक ने दुनिया का बनाया ही इसी तरह है कि इसके सफर में बाधाएं, परेशानियां और विपरीत परिस्थितियां आएंगी ही। उन्होंने कहा कि अल्लाह ने इंसानों को बेहरीन शक्ल में पैदा और जन्नत में रहने के लिए बनाया है। लेकिन मुसीबतों वाली दुनिया में भेजा है। लिहाजा इंसान की उपलब्धि ये नहीं है कि वो अरबों की संपत्ति का मालिक बन जाए बल्कि ये है कि उसे मानसिक सुकून और तनाव मुक्त जीवन मिले।

 जीवन की समस्याएं और चुनौतियां ही इंसानों को परफेक्ट बनाती हैं। समस्याओं में घिरा इंसान समाधान ढूंढता है। लिहाजा ऐसी परिस्थिति में समस्याओं से भागने के बजाए उसके समाधान पर काम करना जरूरी है। वरना तनाव होगा। इसी क्रम में उन्होंने बेंजामिन फ्रैंकलिन का हवाला देते हुए कहा कि जो चीजें लोगों को मुसीबत में डालती हैं वही मार्गदर्शन भी करती हैं।

उन्होंने कहा कि तनाव प्रबंधन का पहला कदम यह है स्वीकार कर लेना है कि जीवन समस्या विहीन नहीं होती है। अगर यह मान लिया जाए तो फिर आने वाली समस्याओं से भागने या उन्हें नजरंदाज करने की प्रवृत्ति से बचना होगा। तनाव से बचने के लिए बेहतर ये होगा कि उस समस्या का मुकाबला किया जाए। उचित समाधान खोजा जाए। श्री दानियाल ने आगे कहा कि पेश आने वाली समस्या का कारण हमारे अपने अंदर होता है लेकिन अमूमन लोग कारण बाहर ढूंढते हैं।

 उन्होंने कहा कि समस्या के समय खुद पर काबू रखना जरूरी है न कि झुंझलाना और गुस्सा करना। अगर समस्या का तुरंत समाधान न निकले तो फिर वेट एंड वाच की नीति अपनानी चाहिए। एक हदीस का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अनुकूल परिस्थितियां का इंतजार करना भी एक प्रकार कि इबादत है। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि तनाव प्रबंधन के लिए ये आवश्यक है कि अपने रब पर आस्था रखें और ये विश्वास रखें को मुसीबत के समय आपका रब आपके साथ है। वो आपको मुसीबत में नहीं छोड़ेगा। 

समस्याओं और उस से उत्पन्न तनाव से बचने के लिए ये भी जरूरी है की लोग खुदगर्जी से बचें, जो अपने लिए बेहतर समझते हैं वही दूसरों के लिए भी पसंद करें। माफ कर देने की प्रवृत्ति भी तनाव मुक्त रहने में बहुत मददगार साबित होती है। लिहाजा लोगों को माफ करना सीखिए।

इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत इंजीनियर मतलूब आलम ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ मो कमाल ने किया। मौके पर डॉ आसिफ रशीद, डॉ मुबस्सिर, डॉ उमर हसन,मुकर्रम, डॉ ऋषभ राज सहित दर्जनों डाक्टर और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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