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मिथिला का प्रसिद्ध कोजागरा पर्व की तैयारी पूरी, लक्ष्मी पूजन के साथ मनाया जाएगा शरद पूर्णिमा



सुपौल। आश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाने वाला कोजागरा पर्व इस बार बुधवार को मनाया जाएगा। इसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रदोष काल में लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है, जिसका शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में संध्या काल 7:18 पर है।

कोजागरा महात्मय के बारे में आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार इस पर्व को सबसे पहले भगवान राम के वनवास से लौटने के बाद मनाया गया था। समुद्र मंथन से निकली अमृत की वर्षा को कोजागरा की रात ही हुई थी। इसलिए इस रात खुले आसमान के नीचे जागते रहने से आसमान से होने वाली अमृत वर्षा शरीर पर पड़ती है जिससे सभी लोगों का समस्त रोग नाश होता है।

आचार्य ने आगे बताया कि द्वापर युग में आश्विन शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा अर्थात शरद पूर्णिमा को ही भगवान श्री कृष्ण ने महारास करके समस्त प्राणियों को आध्यात्मिक संदेश दिया था। तभी से यह महोत्सव के रूप में मनाए जाने लगा।

मिथिलांचल में कोजागरा के लिए व्यापक तैयारी की जा रही है। नव विवाहिताओं के यहां विशेष तैयारी की जा रही है। लड़की पक्ष के द्वारा, वर पक्ष के यहां भेजे जाने वाली भोज सामग्री को भी व्यापक तैयारी होती है। मखान की भी जमकर खरीदारी होती है। मिथिला के प्रसिद्ध फल मखान की खरीदारी के लिए बाजारों में विशेष तैयारी की जा रही है।

कोजागरा के दिन मिथिला के लोग अपने घरों को सजाते हैं और पान, मखान, मधुर मिठाई प्रसाद रूप में सबको दिया जाता है। यह पर्व मिथिला की संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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