सुपौल। कृषि विज्ञान केंद्र सुपौल में सभी वैज्ञानिक और कर्मी एक दिवसीय कलम बंद हड़ताल पर चले गए। इस हड़ताल का आयोजन नेशनल फोरम ऑफ केवीके और एआईसीआरपी संगठन ने किया, जो विभिन्न मांगों के समर्थन में था। हड़ताल में सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के कर्मी बढ़-चढ़ कर शामिल हुए।
कृषि विज्ञान केंद्र पूरे देश में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और कुछ प्रतिष्ठित स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। इन केंद्रों का उद्देश्य किसानों को कृषि के नवीनतम ज्ञान से लाभान्वित करना और उनके आय को दोगुना करना है। 1974 में तमिलनाडु में पहले केवीके की स्थापना हुई थी और आज पूरे देश के हर जिले में एक केवीके स्थापित किया गया है।
हालांकि कृषि विज्ञान केंद्रों के कर्मियों को कई तरह की सुविधाओं से वंचित रखा गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा संचालित देश के करीब 60 केवीके कर्मियों को भारत सरकार से मासिक वेतन, पेंशन, चिकित्सा भत्ता जैसी सुविधाएं मिल रही हैं, लेकिन अन्य केवीके कर्मियों को ये सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इसे लेकर संगठन ने एक दिवसीय कलम बंद हड़ताल का निर्णय लिया है।
संगठन का कहना है कि यह न सिर्फ कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मियों के साथ भेदभाव है, बल्कि यह देश के किसानों के साथ भी एक क्रूर मजाक है, जो कृषि विज्ञान केंद्रों से अपेक्षित समर्थन और सुविधाओं से वंचित हैं।
संगठन की मुख्य मांगें
1. देशभर के केवीके कर्मियों के लिए समान वेतनमान लागू किया जाए।
2. एचपीएस सहित समान सेवानिवृत्ति लाभ लागू किए जाएं।
3. आरएस परौदा उच्च अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों के अनुसार समान सेवा शर्तें लागू की जाएं।
4. एसएमएस को वैज्ञानिक/सहायक प्रोफेसर के रूप में पुनः नामित किया जाए।
5. आईएस परौदा उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के अनुसार कर्मचारियों के पदों का पुनर्गठन किया जाए।
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