सुपौल। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ की टीम इन दिनों कोसी नदी के पूर्वी तटबंध का निरीक्षण कर रही है। इस दौरान दुर्लभ प्रजातियों की मछलियों, पक्षियों और जैव विविधता पर शोध किया जा रहा है।
एशियाई वाटरबर्ड सेंसस 2025 के सर्वेक्षण के लिए आई राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध केंद्र, पटना के निदेशक डॉ. गोपाल शर्मा ने बताया कि कोसी नदी में गांगेय डॉल्फिन का जीवन सुरक्षित है और उनकी संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। पिछले वर्ष 50 किलोमीटर के दायरे में 6 डॉल्फिन देखे गए थे, जबकि इस साल इनकी संख्या बढ़कर 10 हो गई।
उन्होंने बताया कि कोसी नदी में छोटी मछलियों की प्रचुरता है, जो डॉल्फिन के भोजन का प्रमुख स्रोत हैं। विशेषज्ञों ने कोसी बराज से कोसी महासेतु तक डॉल्फिन की उपस्थिति का निरीक्षण किया और इसे उनके लिए उपयुक्त पर्यावरण बताया।
सर्वे के दौरान 15 प्रजातियों के 800 से अधिक पक्षियों को देखा गया, जिनमें 6 प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं। इनमें बार हेडेड गूज, ग्रेलैग गूज, ब्लैक स्टोर्क, बुल्ली नेकेड स्टोर्क, पलास गल, लैसर एडजुटेंट स्टोर्क और ब्रह्मिनी डक प्रमुख हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इन पक्षियों में से कुछ पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है।
बीते दो दिनों से वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा कोसी नदी और उसके तटबंधों पर जैव विविधता के संरक्षण के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि डॉल्फिन की संख्या और उनकी गतिविधियों पर अध्ययन कर उनके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं। सर्वेक्षण टीम में नवीन कुमार, कर्नल अमित सिन्हा, शील आशीष, रेंजर मालाकार बिनोद और मोती आदि शामिल थे।
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