सुपौल। सदर प्रखंड क्षेत्र के परसरमा गांव में मंगलवार को संत-समाज के महान संत लक्ष्मीनाथ गोसाई की 232वीं जयंती श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक उत्साह के साथ मनाई गई। सुबह उनके पैतृक आवास पर विधिवत पूजा-अर्चना के बाद भव्य शोभा यात्रा की शुरुआत हुई, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ दूर-दराज के श्रद्धालुओं की भी बड़ी संख्या ने भाग लिया।
जैसे-जैसे शोभा यात्रा परसरमा से आगे बढ़ी, श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर पहुंचता गया और पूरा क्षेत्र “जय लक्ष्मीनाथ गोसाई” के जयकारों से गूंज उठा। शोभा यात्रा परसरमा से निकलकर सिमरा, जगतपुर, बरुआरी, बरेल और परसौनी होते हुए पुनः परसरमा स्थित लक्ष्मीनाथ गोसाई बाबाजी कुटी पहुंची।
रथ पर सजाई गई संत लक्ष्मीनाथ गोसाई की प्रतिमा के आगे-आगे भक्तगण नाचते-गाते चल रहे थे, जबकि बड़ी संख्या में श्रद्धालु पैदल और वाहनों पर यात्रा में शामिल हुए। रास्ते भर ग्रामीणों, महिला मंडलों और युवाओं ने फूल वर्षा कर शोभा यात्रा का स्वागत किया। डीजे की भक्ति धुनों और ढोल-नगाड़ों की ताल पर भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। बच्चे, युवा, बुजुर्ग और महिलाएँ सभी पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होकर संत जी के प्रति अपनी आस्था व्यक्त कर रहे थे।
स्थानीय लोगों ने बताया कि संत लक्ष्मीनाथ गोसाई की जयंती केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने वाली सांस्कृतिक परंपरा है। ग्रामीणों ने कहा कि बाबा की शिक्षाएँ प्रेम, भाईचारा और सदाचार का संदेश देती हैं, और हर वर्ष यह जयंती गांव में एकता और सौहार्द को और मजबूत बनाती है। लोगों का कहना है कि बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाई गांव की धरोहर हैं और उनके आशीर्वाद से गांव में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

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