सुपौल। जिला मुख्यालय के व्यापार संघ भवन में चल रहे आनंद मार्ग के तीन दिवसीय योग सेमिनार के दूसरे दिन शनिवार को शहर में भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। इस दौरान साधकों ने बाबा नाम केवलम मंत्र और कीर्तन के साथ विभिन्न नारों के माध्यम से सामाजिक संदेश दिया।
इससे पहले सुबह के सत्र में योग प्रशिक्षक आचार्य शिव प्रेमानंद अवधूत ने साधकों को योगासन का अभ्यास कराया। उन्होंने कहा कि आसन अष्टांग योग का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शरीर और मन को स्वस्थ रखने के साथ-साथ आध्यात्मिक साधना में सहायक होता है।
मुख्य प्रवचन सत्र में आचार्य पूर्णदेवानंद अवधूत ने चतुर्वर्ग साधना विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आध्यात्मिक साधना के चार स्तंभ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं। धर्म का अर्थ है मानसिक और आध्यात्मिक साधना, अर्थ का तात्पर्य ज्ञान प्राप्ति से है, काम भौतिक इच्छाओं की पूर्ति को दर्शाता है, और मोक्ष का अर्थ परमात्मा से एकाकार होने की अवस्था है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य भगवत प्राप्ति है, जिसके लिए चतुर्वर्ग साधना अनिवार्य है।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में त्रिवेणी, प्रो. श्याम सुंदन, बैद्यनाथ चौधरी, डॉ. बी. आरती, संजय जी, अलका दीदी, गौतम कुमार सहित कई लोग सक्रिय रूप से शामिल रहे।
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