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माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की प्रताड़ना से त्रस्त गरीब, लोन माफी आंदोलन ने की सभी ऋण माफ करने की मांग


सुपौल। जिला मुख्यालय स्थित लोन माफी आंदोलन कार्यालय में शनिवार को आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक सह लोन माफी आंदोलन के सूत्रधार डॉ. अमन कुमार ने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की कथित अति प्रताड़ना के कारण मुजफ्फरपुर जिले के सकरा थाना अंतर्गत नवलपुर मिश्रोलियां गांव में तीन बेटियों के साथ एक पिता द्वारा सामूहिक आत्महत्या किए जाने की हृदयविदारक घटना सामने आई है।

डॉ. अमन कुमार ने कहा कि इस घटना के बाद उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी द्वारा तथाकथित “गुंडा बैंक” को बंद करने की बात कही गई है, वहीं पुलिस महानिदेशक विनय कुमार द्वारा अवैध रूप से संचालित माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की जांच के आदेश सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को दिए गए हैं। इसके लिए उन्होंने बिहार सरकार और पुलिस प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि देर से ही सही, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की गुंडागर्दी, बेरहमी, अत्याचार, शोषण, अवैध वसूली और आतंक से आम जनता त्रस्त है। डॉ. कुमार ने दावा किया कि बिहार में 70 से अधिक माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की तीन हजार से ज्यादा शाखाएं संचालित हैं, जो गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाकर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों का जीवन नर्क बना रही हैं। उन्होंने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय एवं निष्पक्ष जांच की मांग की।

प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि एक ओर बड़े उद्योगपति करोड़ों रुपये का कर्ज लेकर विदेश भाग जाते हैं और ऐशो-आराम की जिंदगी जीते हैं, वहीं दूसरी ओर गरीबों को प्रताड़ित कर माइक्रो फाइनेंस कंपनियां उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर कर देती हैं। अधिकांश माइक्रो फाइनेंस कंपनियां भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों की खुलेआम अवहेलना कर रही हैं, जो न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने दो कानून की व्यवस्था पर भी सवाल उठाए और कहा कि “गुंडा बैंक” को हर हाल में बंद किया जाना चाहिए।

डॉ. अमन कुमार ने कहा कि गरीब परिवार शौक से कर्ज नहीं लेते, बल्कि मजबूरी में कर्ज उठाते हैं, ताकि अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकें। लेकिन माइक्रो फाइनेंस कंपनियां लोन के जाल में फंसाकर उनके जीवन, सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा को तबाह कर देती हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि लोन माफी आंदोलन का उद्देश्य किसी जाति, पार्टी, सरकार या धर्म का समर्थन या विरोध नहीं है, बल्कि ऋणी परिवारों को न्याय दिलाना है।

उन्होंने कहा कि कर्ज मुक्ति गरीबों का हक है और जिस तरह अमीरों का कर्ज माफ होता है, उसी तरह गरीबों का भी लोन माफ होना चाहिए। ऋण माफी आज के समाज की आवश्यकता है। अंत में उन्होंने सरकार से मांग की कि आर्थिक राहत, गरीबी उन्मूलन, सामाजिक न्याय, मानवाधिकारों की रक्षा और सामाजिक समानता के लिए किसानों के केसीसी ऋण, महिलाओं के समूह ऋण, छात्र-छात्राओं के शिक्षा ऋण सहित बेरोजगार युवाओं एवं गरीबों के सभी प्रकार के ऋण माफ किए जाएं।

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