- मृत्युभोज है एक सामाजिक टैक्स, इस पर लगना चाहिये रोक
सुपौल। जनचेतना
व जनशिक्षा पर आधारित मृत्युभोज छोड़ो अभियान को जन-जन में पहुँचाने के
उद्देश्य से जिला मुख्यालय स्थित बी॰ बी॰ सी॰ काॅलेज सभागार में महत्वपूर्ण
बैठक आयोजित की गई। बैठक को संबोधित करते हुए लोरिक विचार मंच के प्रदेश
संयोजक डॉ. अमन कुमार ने कहा कि मृत्युभोज सहित तमाम सामाजिक व धार्मिक
कुरीति के खिलाफ संघन जन जागरूकता कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है।
मृत्युभोज से समाज का हर तबका परेशान है। किसी को भी मृत्युभोज के द्वारा
परिजन के मौत का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। पढ़े-लिखे लोग भी यदि मृत्युभोज
खाते हैं या करते हैं तो उनकी शिक्षा पर धिक्कार है। यदि आप अपने आप को
पढ़ा-लिखा समझते हैं तो मृत्युभोज का पूर्ण रूपेण बहिष्कार कीजिए।
कहा कि आज समाज व
देश को मृत्युभोज से पूर्ण आजादी चाहिए। समाज सुधारक डाॅ. अमन कुमार ने
कहा कि अपने परिवार को खोने का दुःख और ऊपर से भारी-भरकम खर्च का कोई
औचित्य नही है। इसका किसी भी धर्म ग्रंथ में उल्लेख नही है। शान, शौकत,
वाहवाही व बड़प्पन के लिए मृत्युभोज का आयोजन कहीं से भी उचित नहीं है। कहा
कि मृत्युभोज मुर्दा खाने के समान है। जीवित अवस्था में माता-पिता या परिजन
की सेवा ही सबसे बड़ा भोज है। मृत्युभोज कल्याणकारी नहीं विनाशकारी है।
मृत्युभोज एक सामाजिक टैक्स है। मृत्युभोज के कारण कई परिवार वर्षों बरस
कर्ज में दब जाते हैं। सभी को दुःख में केवल शोक मनाना चाहिए। बैठक में
जितेन्द्र कुमार झा, मनोज कुमार यादव, रामनारायण साह, सुरेन्द्र कुमार
श्यामल, रविन्द्र यादव, मुकेश यादव, असगर अली, खुदीराम सिंह, पंकज मंडल,
फुलेन्द्र यादव, ओम प्रकाश यादव, विजय पासवान आदि उपस्थित थे।

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