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छातापुर के बाजारों में बंगाल से पहुंचाए जा रहे नकली रसगुल्ले, सस्ती दर पर खरीद कर आमलोगों में जहर बेच रहे मिठाई दुकानदार

  • त्योहारी सीजन के शुरु होते ही पूर्णिया व अररिया के रास्ते आस पास के बाजारों में नकली मिठाई बेचने का कारोबार परवान पर 
  • रविवार को छातापुर बस स्टैंड के समीप लोगों ने नकली रसगुल्ला लदे पिकअप वैन को पकड़ा

 पिकअप पर स्थानीय व्यवसायी को रसगुल्ला की क्वालिटी दिखाते कारोबारी।

सुपौल। त्योहारी सीजन के धमक के साथ ही छातापुर के मिठाई दुकानों में जहर बेचने का सिलसिला शुरु हो गया है। बंगाल से पिकअप वैन पर लादकर पूर्णिया व अररिया के रास्ते छातापुर प्रखंड के बाजारों में 80 रुपये प्रति किलो का रसगुल्ला पहुंचाया जा रहा है, जो मिठाई दुकानों में 220-250 रुपये किलो की दर से धड़ल्ले से बेची जा रही है। जानकार बताते हैं कि घटिया किस्म के मेहसाना व पाउडर से तैयार यह रसगुल्ला बेचकर मिठाई दुकानदार आमलोगों के शरीर में मीठा जहर घोल रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य पर व्यापक प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बावजूद विभाग की तंद्रा भंग नहीं हो पा रही है। न तो दुकानों से बेची जा रही मिठाईयों की जांच होती है और ना ही विभाग इस दिशा में पहल कर पा रहा है। स्थानीय तौर पर भी इस रसगुल्ले की बेची करने वाले आधा दर्जन व्यवसायी पनप चुके हैं जो इस धंधे को परवान चढ़ा रहे हैं। आम लोगों की मानें तो मिठाई बेचने के नाम पर अधिक मुनाफा कमाने के फेर में स्थानीय दुकानदार मौत बेच रहे हैं। चर्चा पहले से थी, लेकिन रविवार को जब रसगुल्ले से लदी पिकअप वैन को चंद लोगों ने बस स्टैंड के समीप घेरा तो चालक और मालिक के होश फाख्ता हो गए। ये अलग बात है कि चार घंटे की रस्साकस्सी के बाद स्थल पर चंद सफेदपोशों की एंट्री हुई और लेन-देन के खेल के बाद 11 कनस्तर रसगुल्ला लदे पिकअप को भगा दिया गया। बताया जा रहा है कि एक कनस्तर में तकरीबन 10 किलो रसगुल्ला होता है जो दुकानदारों को 1100 रुपये में बेची जाती है और यही रसगुल्ला ग्राहकों के बीच 250 रुपये प्रति किलो की दर से बेची जा रही है।

भोज में उपभोग के लिए थोक में होती है सप्लाई, फूड प्वाइजनिंग तक का मामला आ चुका है सामने 

जानकारों की मानें तो गांव बस्तियों में सार्वजनिक भोज के दौरान अब इन रसगुल्लों की थोक में सप्लाई होने लगी है। सो सार्वजनिक भोज के आयोजन में सस्ते में काम निपटाने की गरज से आम लोग भी इसके प्रति आसानी से आकर्षित हो जा रहे हैं। लेकिन इसका दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहा है। छह माह पूर्व ही वार्ड नंबर छह में हुए भोज का रसगुल्ला खाने से वार्ड नंबर पांच के आधा दर्जन से अधिक बच्चे फूड प्वाइजनिंग का शिकार होकर पीएचसी पहुंच गए। मामले की जानकारी पर प्रशासन भी सकते में आया और आनन फानन में बीमार बच्चों को अस्पताल पहुंचाकर फजीहत से बचने का उपाय खोजा गया। गणीमत रहा कि समय पर उपचार मिल जाने से बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट पाए। लोगों की मानें तो नकली मिठाई बेचने का यह कारोबार दुर्गापूजा से लेकर छठ तक व्यापक पैमाने पर होगा, जिसपर ससमय लगाम लगाना जरुरी है। नकली रसगुल्ले व मिठाई के कारोबार के बाबत पूछने पर पीएचसी प्रभारी डॉ शंकर कुमार ने बताया कि प्रखंड स्तर पर दुकानों की जांच के लिए व्यवस्था नहीं है। संबंधित मामले को लेकर सीएस कार्यालय से संपर्क किया जाएगा।


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