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छातापुर : लोक शिकायत की सुनवाई में अंचल कार्यालय ने कहा भूमि पर चल रही अतिक्रमणवाद की कार्रवाई, 18 दिन बाद भी संबंधित को नोटिस नहीं

• छातापुर के लालगंज मौजा स्थित गैर मजरुआ 14 डिसमिल भूमि को‌ कब्जाने की तैयारी, स्टांप पेपर से हस्तांतरण की शिकायत

सुपौल। जिले के छातापुर प्रखंड में सरकारी भूमि कब्जा करने की होड़ मची है। ऐसा तब हो रहा है जबकि गैर मजरुआ आम व खास भूमि की पूरी फेहरिस्त अंचल कार्यालय के पास है। ये अलग बात है कि 2008 की कुसहा त्रासदी के दौरान आई बाढ़ कार्यालय के लिए संजीवनी बनी है। मसलन, जब जिस अभिलेख के साथ कारगुजारियों का राज खुलने वाला होता है उसे कोसी की भेंट चढ़ गई बताकर पल्ला झाड़ लिया जाता है और ऊपरी साहेब को भी‌ मामले में बरगला दिया जाता है। वैसे तो सरकारी भूमि पर कब्जा न हो इसकी सारी जवाबदेही अंचल कार्यालय के जिम्मे होती है। लेकिन जब मामला संज्ञान में दिए जाने के बाद भी त्वरित कार्रवाई से परहेज़ बरता जाए तो इसे मौन सहमति ही मानी जाएगी। ताज़ा मामला छातापुर के लालगंज पंचायत से सामने आ रहा है। जहां 14 डिसमिल गैर मजरुआ भूमि को कब्जे में लेने के लिए मेलफांस का खेल चल रहा है। उक्त भूमि झखाड़गढ व लालगंज पंचायत की सीमा पर है। हालांकि यहां भूमिहीन परिवार भी है जिन्हें बसोबास के लिए उक्त भूमि का अंश नियमानुकूल आवंटित की जा सकती है। लेकिन भूमि कब्जाने पर आमदा परिवार जो भूमिहीन हैं भी नहीं उन्होंने उक्त भूमि पर पक्का निर्माण आरंभ करने की तैयारी कर ली है। मामला प्रकाश में आते ही पहले उक्त जमीन पर झोपड़ी बनाई गई और अब भूमि के समीप ईंट, गिट्टी व रेत जमा किए जाने की जानकारी मिल रही है जो किसी भी वक्त निर्माण शुरु कर सकते हैं। ऐसा तब हो रहा जबकि मामला अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय तक पहुंचाई जा चुकी है और 19 अक्टूबर के अंतिम विनिश्चय में अतिक्रमणवाद चलाने की बातें सामने आ रही है। लेकिन हैरानी की बात है कि 19 अक्टूबर की सुनवाई में अंचल कार्यालय द्वारा जिस 14 डिसमिल भूमि पर अतिक्रमणवाद चलाने की जानकारी दी गई है उसके अतिक्रमणकारियों को अब तक नोटिस भी नहीं भेजी गई है और फलाफल पक्का निर्माण की ओर अग्रसर है। बताया जा रहा है कि उक्त भूमि को ले 'मुंह में राम बगल में छूरी' वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। जानकार बताते हैं कि एक तरफ लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को उक्त भूमि पर अतिक्रमणवाद चलाने की जानकारी दी जा रही है और दूसरी ओर चिह्नित अतिक्रमणकारी की पीठ थपथपाई जा रही है। कयास इसलिए मुफीद लग रहे कि जब 19 अक्टूबर की सुनवाई में ही अतिक्रमणवाद चलाने की हामी भरी गई तो फिर कार्यालय से महज ढाई किलोमीटर की दूरी तक नोटिस भेजने में इतने दिन कैसे लग गए जो अतिक्रमणकारी तक नोटिस नहीं पहुंचाई जा सकी!

18 अगस्त को लोक शिकायत निवारण में की गई लिखित शिकायत, 19 अक्टूबर को आया अंतिम विनिश्चय

मौजा लालगंज के खाता- 278, खेसरा- 1611, रकबा- 14 डिसमिल भूमि को गैर मजरुआ आम बताकर झखाड़गढ पंचायत वासी मो फुरकान ने लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी कार्यालय त्रिवेणीगंज में 18 अगस्त 23 को परिवाद दायर की गई थी। दायर परिवाद में बताया गया था कि रकबा 14 डिसमिल जिसके उत्तर में ग्रामीण सड़क, दक्षिण में मेहंदी खातून, पूरब में यूसुफ तथा पश्चिम में ग्रामीण सड़क अवस्थित है को लालगंज निवासी मो फारुख ने झखाड़गढ के मो जियाउल पिता मो सिराज के हाथों स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट कर हस्तांतरित कर दिया है। बताया गया था कि खाली पड़े उक्त सरकारी गैर मजरुआ भूमि पर वह मकान निर्माण करवाना चाहता है जिसकी मौखिक जानकारी सीओ एवं थानाध्यक्ष को दी गई है। आवेदक ने भूमि को अवैध कब्जा से मुक्त करा जनहित में आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण का आग्रह किया था। इसी के आलोक में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने 19 अक्टूबर को सुनवाई की जिसमें अंचल कार्यालय द्वारा उक्त भूमि पर अतिक्रमणवाद की कार्रवाई चलाने की जानकारी दी गई थी। लेकिन जिस तिथि को अंचल कार्यालय ने अतिक्रमणवाद चलाने की बातें स्वीकारी तब स्थल पर किसी प्रकार की निर्माण सामग्री नहीं थी। लेकिन अब उक्त स्थल के समीप ईंट व रेत भी जमा है और पक्का निर्माण की तैयारी भी मुहाने पर है।

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