सुपौल। नगर पंचायत के निर्मली में गुरुवार शाम से शुक्रवार दोपहर तक दो दिवसीय इसलाह मुशायरा एवं कौमी यकजहती कॉन्फ्रेंस का भव्य आयोजन किया गया। देशभर से आए उलेमा-ए-इकराम ने अपने कलाम और तकरीरों के माध्यम से हिंदू–मुस्लिम एकता, मानवता, सामाजिक भाईचारे और कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता का संदेश दिया।
कार्यक्रम में मौलाना अमानुल्लाह काश्मी चतुर्वेदी ने दोनों धर्मों की संयुक्त भागीदारी को सामाजिक एकता का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि अजान हो या शंख-घंटी, एक-दूसरे के धर्म और आस्था का सम्मान करना समाज के लिए जरूरी है।
मौलाना अब्दुल्ला सालम ने अपनी तकरीर में इंसानियत, भाईचारा, सूदखोरी से बचने, समाज में मोहब्बत फैलाने और नेक बनने पर जोर दिया। वहीं मौलाना मो. शिबली ब्राइची ने शिक्षा को अनिवार्य बताते हुए बच्चों को आधुनिक शिक्षा और मदरसा दोनों तरह की तालीम दिलाने की अपील की।
काजी रिजवान साहब ने समाज में फैली विभिन्न कुरीतियों पर कड़ी नसीहत देते हुए दहेज प्रथा, बेटियों के हक, और औरतों पर हो रहे जुल्म जैसे गंभीर मुद्दों पर जागरूक किया। उन्होंने लोगों को मां-बाप की इज्जत बनाए रखने और परिवार में सौहार्द स्थापित करने की सलाह दी।
कार्यक्रम का समापन देश में अमन-चैन, तरक्की और आपसी भाईचारे की कामना करते हुए सामूहिक दुआ के साथ किया गया। आयोजन में बड़ी संख्या में उलेमा, सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय लोग मौजूद रहे।

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