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DBA Supaul : स्वास्थ्य लाभ को गए अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सचिव ने बुलाई आपात बैठक, सोशल मीडिया के जरिए अध्यक्ष ने जताया ऐतराज

  • सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर जिला विधिज्ञ संघ के सचिव पर चालबाजी का लगाया आरोप 

 सुपौल । जिला विधिज्ञ संघ सुपौल के कार्यकारिणी समिति में इस वक्त हलचल सी मची है जहाँ अध्यक्ष शिव प्रसाद साहू ने संघ के सचिव विनय कुमार मिश्रा पर चालबाजी कर बैठक बुलाने का आरोप लगाया है। श्री साहू ने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया कि वे इस वक्त स्वास्थ्य समस्या को लेकर जिले से बाहर हैं और इस वक्त उनकी बिना जानकारी के बैठक बुलाई गई। अध्यक्ष श्री साहू के शब्दों में यह कार्यवाही नहीं चालबाजी है। 



सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट के अनुसार उन्होंने बताया कि इससे पूर्व में भी जिला विधिज्ञ संघ सुपौल में जो बैठक सचिव विनय कुमार मिश्रा ने बुलाई थी उसकी भी जानकारी उन्हे नहीं थी। इस बार भी 29 सितम्बर को जो बैठक अचानक बुलाई गई थी उसकी भी जानकारी उन्हे नहीं दी गई थी और न ही उनके पास बैठक के उपरांत कोई प्रस्ताव दस्तखत हेतु भेजा गया। जिस दिन आमसभा स्थगित की गई थी उस दिन कोई अगली तिथि की घोषणा नहीं की गई थी। 29 सितम्बर गुरुवार को अचानक सभा आहूत कर ली गई है जिसे उन्होंने पूर्ण रूप से अमान्य करार दिया। उन्होंने कहा कि यह चालबाजी है कार्यवाही नहीं। उन्होंने कहा कि उनकी अनुपस्थिति का नाजायज फायदा उठाना अनुचित है। यह विधिसम्मत नहीं है। साथ ही उन्होंने गुरुवार की आमसभा की कथित कार्रवाही को व्यापक हित में अमान्य घोषित करते हुए रद्द बताया।

इस संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता रुद्र प्रताप लाल ने कहा कि किसी भी बैठक को बुलाने से पूर्व अध्यक्ष की सहमति लेनी चाहिए जो नहीं ली गई। इसलिए बिना सहमति गुरुवार को बुलाई गई बैठक अनुचित है। नवनिर्वाचित अध्यक्ष के अस्वस्थता की स्थिति में बैठक बुलाकर उनके स्वास्थ्य को गहरा आघात पहुचाने की ओर कोई कुत्सित गहरी साजिश की ओर इशारा तो नहीं करती?

वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश कुमार आजाद ने कहा कि ऐसा जान पड़ता है कि वर्तमान सचिव श्री मिश्रा, पूर्व सचिव श्री झा के बहकावे या दबाव में आकार बिना अध्यक्ष की सहमति के मीटिंग करते हैं जो गलत है। 

अधिवक्ता कृष्ण कुमार मणिवंश ने कहा कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सभी नवनिर्वाचित पदाधिकारियों की उपस्थिति आवश्यक होती है। अध्यक्ष श्री साहू की अनुपस्थिति में उन्हे जानकारी दिए बिना यदि संघ में किसी भी प्रकार की कार्यवाही की जाती है तो यह अध्यक्ष पद की गरिमा के प्रतिकूल है। अध्यक्ष पद की गरिमा को अक्षुण्ण रखा जाना चाहिए। 

वहीं अधिवक्ता सौरभ मोहन ठाकुर ने कहा कि हड़बड़ाहट में संघ की बैठक आयोजित होने के कारणों को लेकर शंका का समाधान तो संघ के कार्यकारिणी के सदस्य और अधिकारीगण ही कर सकते हैं कि ऐसी क्या परिस्थिति थी कि इतनी हड़बड़ाहट में बैठक का आयोजन कराया गया।

अधिवक्ता शशांक राज ने कहा कि ऐसे वक्त में जब वयोवृद्ध अध्यक्ष महोदय बेहतर ईलाज के लिए क्षेत्र से बाहर गए हुए हैं तब हमें उनके स्वस्थ्य होने की कामना करनी चाहिए और ना कि ..


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