Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Breaking News

latest

आशा कार्यकर्ताओं की पांच दिवसीय राज्यव्यापी हड़ताल शुरू, सात सूत्री मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन

 


सुपौल। बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट) और ऐक्टू के संयुक्त राज्यव्यापी आह्वान पर सोमवार से सुपौल जिले के सदर प्रखंड स्थित पीएचसी परिसर में पांच दिवसीय हड़ताल की शुरुआत हुई। यह हड़ताल 20 मई से 24 मई तक जारी रहेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला संयोजिका ऊषा सिंहा ने की।

इस अवसर पर आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर एक ज्ञापन सुपौल के जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को सौंपा।

प्रमुख मांगों में 1. वर्ष 2023 में हुए समझौते के अनुसार आशा और फैसिलिटेटर का मासिक मानदेय 1000 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये किया जाए।

2. पिछले छह माह से लंबित मानदेय का अविलंब भुगतान हो और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

3. पोर्टल व्यवस्था में सुधार कर सभी बकाया राशि का भुगतान सुनिश्चित किया जाए।

4. सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 65 वर्ष की जाए और सेवा निवृत्ति पर 10 लाख रुपये का पैकेज व मासिक पेंशन की गारंटी दी जाए।

5. प्रोत्साहन राशि की पुनर्समीक्षा कर उसमें वृद्धि की जाए।

6. केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त निर्णय से न्यूनतम मासिक मानदेय 21,000 रुपये तय किया जाए।

7. हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से जुड़ी आशाओं को पोर्टल के माध्यम से भुगतान सुनिश्चित किया जाए, फैसिलिटेटरों को भी शामिल किया जाए और हर पीएचसी में नसबंदी ऑपरेशन की व्यवस्था व स्थायी सर्जन की नियुक्ति की जाए।

राज्य सलाहकार कॉमरेड माधव प्रसाद सिंह, जिला अध्यक्ष विनोद कुमार, संयुक्त सचिव किशोर कुमार पाठक, ऐक्टू के जिला अध्यक्ष जितेंद्र कुमार चौधरी, जिला सचिव अरविंद कुमार शर्मा सहित कई नेताओं ने आशा कार्यकर्ताओं के आंदोलन को समर्थन देते हुए संबोधित किया।

प्रमुख वक्ताओं में सुजाता कुमारी, जयंती कुमारी, विनीता देवी, नीलम देवी, शमीमा खातून, अनीता कुमारी, मीरा देवी, चंद्रकला देवी, कोमल भारती, कविता देवी, नूतन झा, रीता कुमारी समेत दर्जनों आशा कार्यकर्ता शामिल थीं।

नेताओं ने कहा कि जब तक सरकार उनकी जायज मांगों को स्वीकार नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। आशा कार्यकर्ताओं की एकजुटता और संघर्ष से स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बशर्ते सरकार उन्हें सम्मानजनक मानदेय और सुविधाएं दे।

कोई टिप्पणी नहीं