सुपौल। बरसात के मौसम में डायरिया जैसी संक्रामक बीमारी की रोकथाम और आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक व्यापक अभियान की शुरुआत की गई। इस अभियान की शुरुआत सदर अस्पताल परिसर से प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. ममता कुमारी ने जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर की। फीता काटकर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत एएनएम प्रशिक्षण संस्थान की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक से हुई, जिसमें डायरिया के कारण, लक्षण, सावधानियाँ और बचाव के उपायों को रोचक और सरल भाषा में दर्शाया गया। नाटक के माध्यम से यह बताया गया कि बरसात के मौसम में दूषित पानी और अस्वच्छ खानपान डायरिया के प्रमुख कारण हैं, जो विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए घातक साबित हो सकते हैं।
इस अवसर पर प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. ममता कुमारी ने कहा, "डायरिया एक गंभीर लेकिन पूरी तरह से रोके जा सकने वाली बीमारी है। यदि समय पर सही सावधानी बरती जाए, तो इससे आसानी से बचा जा सकता है। उन्होंने लोगों से उबालकर या फिल्टर किया हुआ पानी पीने, खुले में शौच से बचने और ओआरएस का उपयोग करने की अपील की।
उन्होंने जानकारी दी कि यह जागरूकता रथ जिले के सभी प्रखंडों और गांवों में भ्रमण कर लोगों को डायरिया से बचाव संबंधी जानकारी देगा। साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने पर्याप्त मात्रा में ओआरएस और जिंक टैबलेट का भंडारण कर लिया है। जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों को निर्देश दिया गया है कि वे लक्षणों की पहचान होते ही मरीजों को त्वरित उपचार दें।
हेल्थ मैनेजर अभिनव आनंद ने बताया कि इस अभियान के तहत आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से समुदाय स्तर पर भी जागरूकता फैलाई जाएगी। वे घर-घर जाकर लोगों को डायरिया से बचाव के उपाय बताएंगी और जरूरतमंदों के बीच ओआरएस तथा जिंक टैबलेट का वितरण करेंगी।
कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को डराना नहीं, बल्कि सही जानकारी देकर जागरूक बनाना है ताकि वे समय रहते सतर्क होकर अपनी और अपने परिवार की रक्षा कर सकें। स्वास्थ्य विभाग का यह अभियान आने वाले दिनों में जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जारी रहेगा।
कोई टिप्पणी नहीं