सुपौल। मैथिली एसोसिएशन विराटनगर नेपाल के तत्वावधान में आयोजित द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन का भव्य समापन विराटनगर में हुआ। दो दिनों तक चले इस सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर विद्वानों द्वारा सत्र आयोजित किए गए, जिनमें गहन विमर्श के साथ सारगर्भित निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए।
सम्मेलन के प्रथम सत्र में वैदिक संस्कृति एवं लोक वेद विषय पर विचार-विमर्श किया गया। इस सत्र का संचालन मैथिली एसोसिएशन नेपाल के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक प्रवीण नारायण चौधरी ने किया। सत्र में गोसपुर निवासी मैथिल पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने वैदिक संस्कृति की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
आचार्य मिश्र ने कहा कि वैदिक संस्कृति की अभिवृद्धि और संरक्षण के लिए उचित शिक्षा, नैतिक मूल्यों का विकास, परंपराओं का संवर्धन, प्रकृति संरक्षण और संतुलित जीवन शैली अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जब तक लोग अपने पूर्वजों की यशस्वी परंपराओं और कृतियों से परिचित नहीं होंगे, तब तक वैदिक संस्कृति की सही समझ संभव नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि वैदिक संस्कृति को जानने के लिए धार्मिक चेतना के साथ-साथ पर्व-त्योहारों के महत्व को समझना, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, पोखर-तालाबों तथा जीव-जंतुओं की रक्षा के लिए ठोस प्रयास जरूरी हैं। तभी संस्कृति का सतत विकास संभव हो सकेगा।
सम्मेलन के दौरान आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र को उनके वैदिक एवं सांस्कृतिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सुजीत कुमार चौधरी, मृत्युंजय झा, अमर झा, डॉ. एस. एन. झा सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों का उल्लेखनीय सहयोग रहा।

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