सुपौल। एसएसबी 45वीं बटालियन मुख्यालय में शनिवार को पुलिस स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में सभी बलकर्मियों ने शहीदों को श्रद्धाजंलि देते हुए उनकी स्मृति में मौन धारण किया। 45वीं बटालियन के उप कमाडेंट रूपेश शर्मा ने बीते एक वर्ष में शहीद हुए केंद्रीय पुलिस बलों के 189 जवानों का नाम पढ़कर सुनाया गया। कार्यवाहक कमान्डेंट जगदीश कुमार शर्मा ने बताया कि पुलिस स्मृति दिवस भारत में हर साल 21 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह दिन उन पुलिस कर्मियों को याद करने के लिए समर्पित है, जो देश की सेवा करते हुए शहीद हुए हैं। इस दिन पुलिस में सेवा करने के दौरान शहीद होने वाले कर्मचारियों को याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दिवस को पुलिस शहीद दिवस के नाम से भी जाना जाता है। पुलिस स्मृति दिवस का इतिहास 21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में सीआरपीएफ की एक टुकड़ी पर चीनी सेना द्वारा घात लगाकर किए गए हमले से शुरू होता है। इस हमले में सीआरपीएफ के 10 जवान शहीद हो गए थे। इनमें से 07 जवान सीआरपीएफ की तीसरी बटालियन के थे। जबकि 03 जवान अन्य राज्य पुलिस बल के थे। घटना के पूरे तीन सप्ताह बाद 13 नवंबर, 1959 को चीनियों ने दस कर्मियों के शव लौटाए। शहीद जवानों में से एक करम सिंह थे, जो इस हमले में नेतृत्व करते हुए शहीद हुए थे। करम सिंह को वीरता के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। इस घटना के बाद जनवरी 1960 में आयोजित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिरीक्षकों के वार्षिक सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि अब से 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस/पुलिस शहीद दिवस के रूप में मनाया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान उपकमान्डेंट शैलेश कुमार सिंह एवं 45वीं वाहिनी मुख्यालय के अधीनस्थ अधिकारी, अन्य बल कार्मिकों ने शहीद पुलिस कर्मियों को दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी।
पुलिस स्मृति दिवस पर शहीद जवानों को दी गई श्रद्धांजलि
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