सुपौल। जिला मुख्यालय स्थित पुरानी पुलिस लाइन परिसर में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वावधान में श्री हरि कथा का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ सोमवार को अनुमंडल पदाधिकारी इंद्रवीर कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मौके पर डॉ विजय शंकर चौधरी, अभय कुमार मिश्रा, वार्ड पार्षद बैजू चौधरी, ब्रजेश कुमार यादव, अरुण कुमार चौधरी उपस्थित थे। कथा के प्रथम दिन संस्थान के संस्थापक व संचालक आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी शीतली भारती ने कहा कि हरि अनंत, हरि कथा अनंता, गावहि सुनहि बहु विधि सब संता। हरि अनंत हैं, उनकी कथाएं भी अनंत हैं। अनंत हरि की कथा को सब अपने अपने ढंग से कहते हैं। जिस कथा से या सत्संग से मानव के जीवन की व्यथा समाप्त हो जाए, वास्तविक में वही कथा है। भक्त राजा श्वेत की कथा सुनाते हुए उन्होंने जीवन में दान का महत्व समझाया। उन्होंने बताया कि राजा परीक्षित को श्राप मिलता है कि सातवें दिन तक्षक सांप के डंसने से मृत्यु हो जाएगी। कथा कहती है कि राजा परीक्षित को जब मुनि ने कथा सुनाई तो जीवन की व्यथा समाप्त हो गई। कौन-सी व्यथा समाप्त हुई? संत समझाते हैं कि मानव की एक ही व्यथा है बार-बार गर्भ में पलना और बार-बार चिता की अग्नि में जलना। इस व्यथा का अंत सत्संग ही कर सकती है। सत्संग का फल ऐसा है कि यहां कौआ भी कोयल और बगुला हंस बन जाता है। तभी तो डाकू रत्नाकर सत्संग के प्रभाव से बाल्मीकि बन गए। अंगुलिमाल डाकू संत अहिंसक बन गए। कथा में मंचन पर स्वामी यादवेंद्रानंद, साध्वी सुमति, सरिता भारती, रामचंद्र जी, श्याम भारती, चंदन ने वादन प्रस्तुत किया। जिसमें श्रोतागण भाव-विभोर हो रसास्वादन हेतु सभी श्रद्धालु भक्तों के मन भाव विभोर हुए।
सत्संग का फल ऐसा है कि कौआ भी कोयल और बगुला भी हंस बन जाता है
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं