सुपौल। भगवान महावीर की जयंती 2550 वें निर्वाण दिवस के रूप में मनायी गयी। इस मौके पर जैन धर्मावलंबियों ने रविवार की सुबह प्रतापगंज बाजार स्थित नमिनाथ जैन मंदिर प्रांगण से भगवान महावीर की प्रतिमा के साथ प्रभातफेरी निकाली। प्रभातफेरी बाजार सहित गोल चौक और शंकर चौक तक का भ्रमण किया। इस दौरान जैन श्रद्धालुओं ने अहिंसा के पुजारी भगवान महावीर के नारे लगाये। शंकर चौक से लौटकर प्रभातफेरी पुन: जैन मंदिर पहुंची। नमिनाथ जैन मंदिर के व्यवस्थापक जैनी मानमल पारख ने बताया कि सम्पूर्ण विश्व में जैन समाज द्वारा भगवान महावीर के जन्मोत्सव के रूप में उनकी जयंती मनाई जाती है। भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। वे अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे। उनका जन्म उस युग में हुआ, जब हिंसा पशुबली जाति-पात के भेदभाव बढ़ रहे थे। उनका जीवन त्याग और तपस्या से ओतप्रोत था। वे कठिन तपस्या के बाद जो आत्मज्ञान प्राप्त किया था। उसके आधार पर उन्होंने समाज कल्याण के लिए पंचशील का सिद्धांत दिया। जिसमें जीवन में सत्य, अहिंसा, अस्तेयस ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के सिद्धांत की बात कही। महावीर ने दुनिया को सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि वैमनस्यता, राग और ईर्ष्या के ताप में तप रहे पूरे संसार में भगवान महावीर का अहिंसा का सिद्धांत प्रेरणादायक हीं नहीं, प्रासंगिक भी है। जयंती के मौके पर जैनमंदिर परिसर में जैनधर्मानुरागी भाई-बहनें और बच्चों ने स्वाध्याय और भजनों का भी गायन किया। प्रभातफेरी में मानमल पारख सहित हनुमानमल घोडावत, महेंद्र वैद, पवन श्रीमाल, सावन गंग, कालीचरण गोठी, नवरत्न सेठिया, सौरभ छाजेड़, मनीष गंग, पदमा देवी नौलखा, प्रभा नौलखा, आशा कुमारी गोठी आदि शामिल थी।
प्रतापगंज : भगवान महावीर की जयंती के अवसर पर निकाली गयी प्रभातफेरी
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