सुपौल। सदर प्रखंड अंतर्गत रामदत्तपट्टी पंचायत के कालीगंज मंदिर परिसर में रविवार को ऋणग्रस्त परिवारों की समस्याओं को लेकर जनता की अदालत का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी भूपेंद्र प्रसाद यादव ने की। इस जनसभा में बड़ी संख्या में ऋणी परिवारों ने भाग लेकर सरकार से लोन माफी की गुहार लगाई और अपनी पीड़ा सार्वजनिक रूप से साझा की।
जनता की अदालत को संबोधित करते हुए लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ. अमन कुमार ने कहा कि यह आंदोलन किसी जाति, धर्म या राजनीतिक पार्टी के विरोध या समर्थन के लिए नहीं, बल्कि ऋणी परिवारों की आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब सरकार उद्योगपतियों के 16 लाख करोड़ रुपये तक के कर्ज माफ कर सकती है, तो गरीबों, किसानों, छात्रों और महिलाओं का कर्ज क्यों नहीं?
डॉ. कुमार ने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ये कंपनियां आरबीआई के दिशा-निर्देशों की खुलेआम अवहेलना कर रही हैं। उनके वसूली एजेंट गरीब ऋणकर्ताओं का मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "कर्ज लेना कोई अपराध नहीं है। खुद सरकार पर भी अंतरराष्ट्रीय कर्ज है, तो फिर गरीबों का कर्ज माफ क्यों नहीं हो सकता?"
उन्होंने बताया कि ऋण के बोझ तले दबे परिवार आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं और कई परिवार गांव छोड़कर अन्य प्रदेशों में पलायन कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में ऋण माफी केवल राहत नहीं, बल्कि गरीबों का अधिकार बन जाता है।
डॉ. कुमार ने बिहार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि बाढ़, सूखा और बेरोजगारी ने लोगों की हालत बदतर कर दी है। युवा शिक्षा ऋण लेकर पढ़ाई तो कर लेते हैं, लेकिन रोजगार के लिए दर-दर भटकते हैं। उन्होंने मांग की कि किसानों का केसीसी ऋण, महिलाओं का समूह ऋण, छात्रों का शिक्षा ऋण और बेरोजगार युवाओं सहित सभी गरीबों का ऋण माफ किया जाना चाहिए।
उन्होंने ऋण माफी को आर्थिक राहत, मानवाधिकारों की रक्षा, सामाजिक न्याय, मानसिक तनाव से मुक्ति, और आर्थिक सशक्तिकरण का जरिया बताते हुए कहा कि सरकार को इस दिशा में शीघ्र कदम उठाना चाहिए।
इस मौके पर कृष्णदेव यादव, विजय मंडल, मिथिलेश यादव, प्रदीप शर्मा, सतीश कुमार सुमन, छोटू कुमार शर्मा, रामदेव यादव, रामनंदन यादव, कूपो यादव, पवन कुमार मंडल, लल्लू भगत, राजेश पासवान, संजय झा, मो. कलीमुद्दीन, कार्तिक शर्मा, खुशबू देवी, मीना देवी, ममता देवी, संगीता देवी, पिंकी देवी समेत दर्जनों महिलाओं व पुरुषों ने अपनी भागीदारी दर्ज की।
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