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विभागीय छत्रछाया में पल्लवित हो रहे निजी स्वास्थ्य संस्थान, बिना पुलिस को सूचना दिए विषपान के शिकार युवक का होता है इलाज

  • विडंबना : पिता बोले-घरेलू परेशानी के कारण पुत्र ने पीया खरपतवार नाशक, मामला छिपाने हेतु डॉक्टर ने पर्ची पर लिखा फूड प्वाइजनिंग
  • पुलिसिया कार्रवाई से बचने के लिए पीएचसी नहीं लाकर निजी अस्पताल में कराया भर्ती, पेसेंट को दवा लिख सुपौल में थे डॉक्टर 
  • विभागीय आदेश को तीन माह बीतने के बावजूद कार्रवाई की बात तो दूर वैध-अवैध का पता नहीं लगा पाया विभाग, कैसे डॉक्टर पता नहीं
    साई हॉस्पीटल में इलाजरत विषपान का शिकार युवक।


सुपौल ।  जिले के छातापुर प्रखंड में संचालित निजी नर्सिग होम में इन दिनों नियम कायदे को ताक पर रखकर मनमर्जी का खेल चल रहा है। विभागीय छत्रछाया में पल्लवित ऐसे निजी स्वास्थ्य संस्थानों में से कितने वैध हैं और कितने अवैध इसकी खोज महीनों से जारी है, जिसका पता लगाना स्थानीय स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। वहीं ऐसे संस्थानों में धड़ल्ले से ऑपरेशन तक करने वाले चिकित्सकों में कितने वैध डिग्रीधारी हैं और कौन बिना डिग्री के मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहा है, इसका भी पता विभाग नहीं लगा पाई है। पता लगेगा भी नहीं क्योंकि शाम ढ़लने के बाद सबकी बैठकी साथ लगती है। ऐसे में इस हमाम में कौन नंगा है चर्चा करना लाजमी नहीं जान पड़ता है, क्योंकि ये जो पब्लिक है ये सब जानती है…। ऐसे संस्थानों पर कार्रवाई के लिए विभागीय पत्राचार की झड़ी लगाई जाती है,  पुन: पत्र भेजकर स्मारित कराया जाता है, सीधी कार्रवाई के लिए वरीय पदाधिकारी के आदेश जारी होते हैं। लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहता है। ये कागजी खानापूर्ति नहीं तो और क्या है! यही कारण है कि छातापुर जैसे कस्बाई बाजार के दो किमी की परिधि में तकरीबन आठ निजी नर्सिंग होम संचालित हैं। इनमें से कुछ तो फ्रंट पर आकर खेल रहे हैं तो कई गली कूचे में अपनी संस्थान खोलकर सेवा को धंधा का वृहतर रुप देने में लगे हैं। गली कूचे के नर्सिंग होम में कानून को धता बताने का खेल चलता है। नॉर्मल मरीजों को भी ऑपरेट कर अच्छी खासी रकम ऐंठी जाती है तो पुलिसिया कार्रवाई के भय से पीएचसी नहीं पहुंचने वाले दुर्घटनाग्रस्त व विषपान के शिकार मरीजों का उपचार धड़ल्ले से होता है और पुलिस को कानोकान भनक नहीं लगती। भनक ना लगे इसिलिए ऐसे संस्थानों की सेवा ली जाती है। हालात पर गौर करें तो बड़े-बड़े बोर्ड, बाजार में होर्डिंग, यू ट्यूब पर सुपर स्पेशियलिटी का दावा तक होता है पर विभाग संपूर्ण क्रियाकलाप से आंखें मुंदे रहती है। ऐसे निजी स्वास्थ्य संस्थानों में मरीजों से शोषण की कहानी अब  पुरानी हो चुकी है। अब तो क्रिटीकल व पुलिस से भयमुक्त ऐसे संस्थान के करपरदार मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।

शुक्रवार के अपराह्न विषपान के शिकार युवक को एक निजी अस्पताल ने लिया भर्ती, पुलिस को नहीं लगने दी भनक

अंधेरे में डूबा गली कूचे में संचालित निजी अस्पताल परिसर।

छातापुर पीएचसी की दूरी मुख्यालय पंचायत के वार्ड नंबर 12 से एक किमी पर है। बावजूद शुक्रवार के अपराह्न विषपान के शिकार युवक को परिजन चुन्नी मोड़ स्थित गली कूचे के साईं हॉस्पीटल इसलिए लेकर गए ताकि मामला पुलिस में न जाए। मिली जानकारी अनुसार घरेलू कलह से परेशान छातापुर निवासी महंथी मेहता के 24 वर्षीय पुत्र रोशन कुमार उर्फ सुड्डु मेहता ने तकरीबन दो बजे दिन में खरपतवार नाशक दवा पीकर आत्महत्या का प्रयास किया। उल्टियां आने पर परिजन सकते में आए और पुलिसिया कार्रवाई के भय से चुन्नी मोड़ स्थित साईं हॉस्पीटल में उसे भर्ती करा दिया। हिमाकत देखिये, उपचार शुरु हुआ, चार घंटे बाद मरीज को थोड़ा होश भी आया, लेकिन इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को सूचना देना मुनासिब नहीं समझा। इतना ही नहीं जगह-जगह ऑपरेशन के लिए बुक रहने वाले इस संस्थान के एक मात्र चिकित्सक दर्जन भर मरीजों को एक ऐसे तथाकथित कंपाउंडर के भरोसे छोड़ गए जो अपने ओहदे का मतलब स्टाफ होना बता रहे थे। पूछने पर पिंटु कुमार नामक इस कंपाउंडर ने बताया कि डॉक्टर साहब मरीजों को दवा लिखकर सुपौल ऑपरेशन में गए हुए हैं। डॉक्टर के बारे पूछने पर बताया कि यहां एकमात्र चिकित्सक डॉ रविंद्र कुमार मंडल उपचार करते हैं जिनकी डिग्री एमडी है। यह पूछने पर कि विषपान के शिकार युवक को भर्ती लेने पर पुलिस को इत्तला क्यों नहीं दी, बताया कि पेसेंट का पोजीशन देखकर हमलोग निर्णय लेते हैं। कहा कि यदि वह बचने लायक है तो भर्ती लेते हैं और इसमें पुलिस को सूचना देना मुनासिब नहीं समझते।

मरीज के पिता बोले- पुत्र ने खरपातवार नाशक पीकर किया आत्महत्या का प्रयास, डॉक्टर ने पेसेंट की पर्ची पर लिखा फूड प्वाइजनिंग

मामले को कागजी रुप से छिपाने के प्रयास को देखिये, सूचना पर साईं हॉस्पीटल पहुंच जानकारी जुटाने पर ज्ञात हुआ कि रोशन ने विषपान किया है। पूछने पर ऑन रिकार्ड मरीज के पिता महंथी मेहता ने बताया कि घरेलू समस्या के कारण उनके पुत्र सुड्डु ने खरपतावार नाशक दवा पी ली है। जबकि तथाकथित कंपाउंडर से पर्ची मांगने पर उसपर फूड प्वाइजनिंग लिखा था। लेकिन मरीज को दुरुस्त करने के लिए चलाई गई दवा पर गौर किया जाएगा तो तस्वीर साफ नजर आएगी। कायदे पर गौर करें तो ऐसे मामले में वैध स्वास्थ्य संस्थानों के लिए भी स्पष्ट निर्देश है कि वे मरीज का उपचार शुरु कर पुलिस को सूचना दें, ताकि घटना के कारणों व उसके लिए जिम्मेदार के विरुद्ध कार्रवाई हो सक। लेकिन ऐसे अस्पतालों के लिए सारे नियम कायदे हासिये पर होते हैं। अब यह सेटिंग का खेल है या और कुछ यह तो संबंधित ही बता पाएंगे, लेकिन इतना तो तय है कि कुछ तो है जो इनपर कार्रवाई नहीं होती। हालांकि इस बाबत पूछने पर पीएचसी प्रभारी डॉ शंकर कुमार एक ही जवाब होता है कि प्रखंड में संचालित निजी स्वास्थ्य संस्थानों की सूची सीएस कार्यालय को उपलब्ध करा दी गई है। आगे जो भी कार्रवाई होनी है वह सीएस कार्यालय के स्तर से ही हो पाएगी।



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