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कुरीतियां मिटाने से हिन्दुस्तान स्वर्ग से भी सुंदर बनेगा-डॉ. अमन

सुपौल। त्रिवेणीगंज प्रखंड के महेशवा पंचायत स्थित वार्ड नंबर 12 में रविवार को अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा द्वारा चलो चलें कलम की ओर, कुरीति मिटाओ-देश बचाओ तथा मृत्युभोज छोड़ो अभियान को सर जमीन पर अमलीजामा पहनाने के उद्देश्य से प्रखंड अध्यक्ष संतोष कुमार पप्पू के अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कुरीति का जिक्र करते हुए यादव महासभा के जिला अध्यक्ष डॉ। अमन कुमार ने कहा कि सामाजिक कुरीतियां राष्ट्र के विकास का सबसे बड़ा बाधक है। यह समाज, सभ्यता और संस्कृति को लकड़ी की घुन व लोहे के जंग की तरह खा रही है। मृत्युभोज, बाल-विवाह, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, सांप्रदायिकता, घोर जातिवाद, मदिरापान, अंधविश्वास, जादू-टोना, घरेलू हिंसा आदि सामाजिक कुरीति व समस्या के कारण समाज तार-तार हो रही है। हर इन्सान के अन्दर सही संस्कार पैदा करके समाज में फैली कुरीतियों को दूर किया जा सकता है। कहा अच्छे लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। जिसके कारण बुरे लोग रीति-रिवाज के नाम पर तांडव करते हैं। राम के भक्त और रहीम के बन्दे थोड़ी अक्ल से काम ले तो यह मुल्क स्वर्ग से भी सुंदर बन सकता है। मृत्युभोज कल्याणकारी नहीं विनाशकारी है। कहा कि नशा एक अभिशाप और सामाजिक बुराई भी हैं। देश के नब्बे प्रतिशत जांबाज कर्णधार आज नशे के शिकार हैं। जिनको देश की उन्नति में अपनी ऊर्जा लगाना चाहिए। वो आज अपनी अनमोल शारीरिक और मानसिक ऊर्जा चोरी, लूट-पाट, मर्डर, घरेलू हिंसा आदि में नष्ट कर रहे हैं। शिक्षा इंसान को अंधकार से प्रकाश कि ओर ले जाता है। शिक्षा सबसे बड़ा शक्तिशाली हथियार है। जिससे इंसान पूरी दुनिया बदल सकते हैं। शिक्षा इंसान का सबसे प्रिय मित्र और सर्वोत्तम धन है। यादव महासभा के जिला संरक्षक डॉ। इंद्रभूषण यादव ने कहा कि नशा नाश की जड़ हैं। व्यक्ति नशे के लिए शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटका, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट जैसे घातक पदार्थों का उपयोग कर रहे हैं।इस जहरीले और नशीले पदार्थों के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, आर्थिक और मानसिक हानि पहुचने के साथ साथ सामाजिक माहौल भी बिगड़ता हैं। कहा कि जीवित अवस्था में माता पिता की सेवा ही सबसे बड़ा मृत्युभोज है। भोज में व्यय की जा रही राशि को शिक्षा में खर्च करने की आवश्यकता है। संगोष्ठी में वार्ड आयुक्त परमानंद कुमार पप्पू, अनुपम कुमार, भुवनेश्वरी यादव, डॉ। विपिन कुमार यादव, अशोक कुमार, रवींद्र कुमार, चन्दन कुमार, राजीव कुमार आदि ने भी अपना विचार व्यक्त किया।
  


 

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