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खाली पड़े कर्मचारी आवास की खुल गईं दरवाजे खिड़कियां, ग्रिल भी हो गए गायब, कबाड़ की दुकानों तक पहुंच रहे सामान



• कबाड़ के कारोबारियों की शह पर चोरों की नई पौध हो रही तैयार, बेरोकटोक चल रहा धंधा

सुपौल। जिले के छातापुर प्रखंड में कबाड़ के कारोबारियों की शह पर चोरों की नई पौध तैयार हो रही है जो अब सरकारी संपत्ति को भी निशाना बना रहे हैं। अच्छी कीमतों पर कबाड़ में बिकते लौह पदार्थ का परिणाम है कि अब नाबालिगों को उकसाकर पहले तो सरकारी परिसर में पड़े लौह पदार्थ की चोरी करवाई जाती है और फिर उसे औने पौने दाम में खरीदकर ठिकाने लगाया जा रहा है। अव्वल तो इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता लेकिन गाहे-बगाहे यदि नजर पड़ भी गई तो बालकों की नादानी समझकर नजर अंदाज कर दिया जाता है। नशे की लत के आदि ऐसे नाबालिग अपनी लत पूरी करने के लिए इन कबाड़ के कारोबारियों की शह पर चोरी की वारदातों के भी आदि होने लगे हैं। गुरुवार व शुक्रवार को कोसी योजना के छातापुर स्थित सिंचाई विभाग परिसर में ऐसा ही नजारा सामने आया है। बीते दो दिनों में सिंचाई विभाग के खाली पड़े कर्मचारी आवास के खिड़की-दरवाजे व ग्रिल तक उखाड़ कर कबाड़ की दुकानों में बिक गए पर विभाग मौन साधे तमाशबीन बना है। सूत्र बताते हैं कि नाबालिग जिस समय सामग्रियां इकठ्ठा कर रहे होते हैं उसी समय कबाड़ के कारोबारी की गाड़ी आकर लग जाती है और सभी सामग्री लदकर उनके दुकानों पर पहुंच जाते हैं। गुरुवार को मालवाहक ऑटो में दिनभर सिंचाई विभाग के भवनों से उखाड़ी गई सामग्री ढोने के बाद रोक टोक नहीं होता देख शुक्रवार को भी गतिविधि जारी रही। लेकिन इसी बीच किसी ने डायल 112 पर शिकायत कर दी। लेकिन जब तक 112 की पुलिस कबाड़ की दुकानों तक पहुंची तब तक रुट बदलकर ऑटो सहित सरकारी भवनों की सामग्रियां ठिकाने लगा दी गई हाथ कुछ नहीं आया। वैसे भी छातापुर में कबाड़ के कारोबारियों की गतिविधियां संदिग्ध रही है और कईएक मुकदमा के दायरे में भी आ चुके हैं। बावजूद इनकी गतिविधियों पर लगाम नहीं लग पा रहा है। हालात पर गौर करें तो दिन दहाड़े बाइक चोरी तो आए दिन की बात है अब तो बड़े-बड़े ट्रैक्टर भी ट्रेलर सहित गायब हो रहे हैं। मामला थाने तक पहुंचता है और जब तक पुलिस सक्रिय होती है चंद घंटे में निशान तक मिट जाते हैं। जानकार बताते हैं कि ऐसे कबाड़ के कारोबारियों के पास कई कटर मशीनें होती हैं जो चंद घंटे में बड़े-बड़े मशीनों को काटकर सबूत तक निगल जाते हैं। कहीं से कोई पुख्ता सूचना मिलने पर जब पुलिस पहुंचती है तो या तो तब तक सबूत ही मिट चुके होते हैं या फिर सब कुछ मैनेज सिस्टम पर आकर ठहरता है। गौर करें तो हाल दिनों में क्षेत्र से कई बाइक व ट्रैक्टरों की चोरी हो चुकी है जिसका अब तक सुराग नहीं है। वहीं बिजली तार के चोरी की भी घटनाएं सामने आती रही है। चंद माह पूर्व राजेश्वरी पूर्व पंचायत में तो चोर पिकअप पर लादकर ट्रांसफार्मर ही ले जा रहे थे। गणीमत रहा कि आधी रात को ग्रामीणों ने ही एक चोर को दबोच पिकअप सहित पुलिस के हवाले कर दिया। सूत्रों की मानें तो इन चोरी की सामग्रियों का ठिकाना कबाड़ की दुकानों तक जाकर पहुंचता है। बावजूद ऐसे दुकानों की निगरानी नहीं हो रही और बेरोकटोक इनका धंधा परवान चढ़ रहा है।

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