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साहित्य और रंगमंच के साधक सागर प्रसाद यादव का निधन, शिक्षा और नाटक के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति



सुपौल। शिक्षा और रंगमंच के क्षेत्र में दशकों तक सक्रिय भूमिका निभाने वाले, समाज में साक्षरता अभियान की अलख जगाने वाले त्रिवेणीगंज प्रखंड क्षेत्र के विद्यानगर गुड़िया निवासी प्रसिद्ध नाटककार और निर्देशक सागर प्रसाद यादव का 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे अपने पीछे तीन पुत्र और एक पुत्री सहित अनगिनत प्रशंसक और शिष्यों को छोड़ गए हैं।

सागर प्रसाद यादव न केवल एक प्रतिष्ठित लेखक और नाटक निर्देशक थे, बल्कि वे समाज में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए भी सदैव प्रयासरत रहे। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय ग्रामीण क्षेत्र में साक्षरता अभियान चलाने में लगाया और रंगमंच को समाज सुधार का माध्यम बनाया। उनकी रचनाएं और नाट्य प्रस्तुतियां सामाजिक समस्याओं को उजागर करने और जनजागरण करने में प्रभावी रही है। स्‍व यादव ने अपने निर्देशन में कई प्रेरणादायक नाटक प्रस्तुत किए। जिनमें समाज की कुरीतियों, अशिक्षा, जातीय भेदभाव और महिलाओं की स्थिति जैसे विषयों को केंद्र में रखा गया। उनकी नाट्य प्रस्तुतियां दर्शकों को न केवल मनोरंजन प्रदान करती थीं, बल्कि उन्हें सोचने और सामाजिक बदलाव के लिए प्रेरित भी करती थीं।

 उनके निधन की खबर से विद्यानगर सहित पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। साहित्य, रंगमंच और शिक्षा जगत के अनेक लोगों ने उनकी मृत्यु को अपूरणीय क्षति बताया। स्थानीय समाजसेवियों ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे शिक्षा और नाटक के माध्यम से समाज को जागरूक करने वाले महान व्यक्तित्व थे। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

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