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त्रिवेणीगंज : अनूपलाल यादव महाविद्यालय में विश्व मानवाधिकार दिवस पर संगोष्ठी, मानवाधिकारों के महत्व पर हुई विस्तृत चर्चा

 


सुपौल। विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर अनूपलाल यादव महाविद्यालय, त्रिवेणीगंज में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय इकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में एक संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्राध्यापक प्रो. अरुण कुमार ने की, जबकि एनएसएस प्रथम इकाई कार्यक्रम पदाधिकारी सह जिला नोडल पदाधिकारी प्रो. विद्यानंद यादव, तृतीय इकाई प्रभारी प्रो. शंभू यादव एवं द्वितीय इकाई प्रभारी प्रो. कुमारी पूनम मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए अध्यक्ष प्रो. अरुण कुमार ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान के अधिकार ही मानवाधिकार कहलाते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने अधिकारों को समझे बिना पूर्ण विकास नहीं कर सकता। मानवाधिकार किसी भी समाज और राष्ट्र की प्रगति के मूल आधार हैं।

उन्होंने बताया कि विश्व युद्ध की त्रासदी से उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकारों की रक्षा हेतु घोषणा की, जिसे 1950 से पूरी दुनिया में विश्व मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

भारत में मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 28 सितंबर 1993 से लागू हुआ और 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 14, 15, 16, 17, 19, 20, 21, 23, 24, 39, 43 और 45 मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो. विद्यानंद यादव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार घोषणा–पत्र विश्व नागरिकों के लिए एक मील का पत्थर है। उन्होंने भारत के छह मौलिक अधिकारों—समानता, स्वतंत्रता, शोषण के विरुद्ध संरक्षण, धर्म की स्वतंत्रता, संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार और संवैधानिक उपचार—का विस्तार से उल्लेख किया।

उन्होंने बताया कि मानवाधिकार आयोग नागरिकों के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा करता है, जिसमें बाल मजदूरी, स्वास्थ्य, भोजन, बाल विवाह, महिला अधिकार, अल्पसंख्यक संरक्षण, जाति एवं लिंग–भेद जैसे विषय शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि विश्व मानवाधिकार दिवस 2025 की थीम “मानवाधिकार: हमारी रोज़मर्रा की ज़रूरतें” यह संदेश देती है कि अधिकारों की रक्षा और जागरूकता समाज निर्माण की अनिवार्य आवश्यकता है।

संगोष्ठी में प्रो. देवनारायण यादव, डॉ. अरविंद कुमार, प्रो. कुलानंद यादव, प्रो. राजकुमार यादव, प्रो. शंभू यादव, प्रो. कुमारी पूनम, सोनू स्नेहिल सहित कई शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी मौजूद रहे।

एनएसएस स्वयंसेवक सिमरन गोयल, आस्था कुमारी, प्रियांशु कुमारी, सरिता कुमारी, शबनम कुमारी, दिव्या कुमारी, रिया कुमारी, गोविंद कुमार, अंकिता भारती, श्रेया भारती, आश्वी कुमारी, रंजूषा सुमन, रंजीत कुमार, अभिनव कुमार, शुभम कुमार, शिव कुमार, रोशन राज सहित अनेक छात्र-छात्राओं ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

कार्यक्रम का उद्देश्य मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, समाज में समानता एवं सम्मान की भावना को मजबूत करना और विद्यार्थियों को जिम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार करना था।

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