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कोर्ट ने सुपौल एसपी व डीएम पर लगाया 24-24 हजार का जुर्माना

  • जुर्माने की राशि सैलरी से कटेगी, 2019 के किसनपुर थाना क्षेत्र की हत्या से जुड़ा है मामला



सुपौल। पटना हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद किसनपुर थाना क्षेत्र के हत्या से जुड़े एक मामले में 14 माह बाद भी गवाह की पेशी नहीं कराने का ठीकरा डीएम-एसपी पर फूटा है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार की अदालत ने सुपौल डीएम कौशल कुमार एवं एसपी शैशव यादव को 24-24 हजार का जुर्माना लगाया है। जुर्माना राशि की कटौती दोनों अधिकारियों के वेतन से होगी। अदालत ने इसके निमित्त सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव को लिखने के साथ ही प्रधान सचिव को जुर्माने की राशि 15 दिनों के भीतर प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कराने का निर्देश दिया है। यह भी कहा है कि जमा कराई गई जुर्माना राशि की रसीद कोर्ट को उपलब्ध कराएंगे।

जारी आदेश में कोर्ट ने डीएम के विरुद्ध तल्ख टिप्पणी की है। अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने डीएम को अक्षम, अयोग्य व कोर्ट के आदेश पर अभिरुचि नहीं लेने वाला अधिकारी करार दिया है। कोर्ट के अनुसार सुपौल डीएम के कार्य से प्रतीत होता है कि न्यायालय, न्यायिक प्रक्रिया एवं न्यायिक प्रशासन प्रणाली के प्रति इनका कोई सम्मान नहीं है। साथ ही बिहार क्रिमिनल कोर्ट रुल आफ हाईकोर्ट के रुल 34 के तहत डीएम और एसपी को गैर जवाबदेह माना गया है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों के कार्यों को कोर्ट की अवमानना बताया है।

एडीजे सप्तम के न्यायालय ने आदेश की प्रति सामान्य प्रशासन विभाग बिहार के प्रधान सचिव एवं केंद्रीय गृह मंत्रालय के गृह सचिव को भी भेजने का आदेश दिया है। साथ ही आदेश की प्रति ईमेल के माध्यम से भी दोनों अधिकारियों को भेजी है। इसके अलावा केंद्रीय गृह सचिव से डीएम के विरुद्ध उचित कार्रवाई हेतु विचार करने को कहा है।

मिली जानकारी अनुसार किसनपुर थाना कांड संख्या 237/19 की सुनवाई के क्रम में 06 जनवरी 2020 को सुपौल कोर्ट में लिस्टिंग हुई। इसके बाद सत्रवाद संख्या 196/20 में हत्याकांड के सात आरोपियों में से 06 लोगों को कोर्ट से जमानत मिल गई। जबकि एक आरोपी मदन यादव उर्फ संतन कुमार अभी न्यायिक हिरासत में है। मदन ने पटना हाईकोर्ट में गत वर्ष जमानत के लिए याचिका लगाई। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने 10 अगस्त 2022 को सुपौल डीएम एवं एसपी को छह माह के भीतर सभी साक्ष्य एवं गवाह कोर्ट में प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। ऐसा नहीं होने की स्थिति में बिहार क्रिमिनल कोर्ट रुल आफ हाईकोर्ट के नियम 34 के तहत डीएम एवं एसपी को इसके लिए जवाबदेह बनाया गया। हालांकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी अब तक एडीजे सप्तम की कोर्ट में अभियोजन की ओर से 12 में से 11 गवाह ही प्रस्तुत किए गए। नतीजतन, कोर्ट ने इसे अदालत की अवमानना करार दिया। कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया है कि डीएम जिले में अभियोजन के शीर्ष प्रतिनिधि हैं, जबकि पुलिस अधिकारियों की मानिटरिंग एसपी करते हैं। लेकिन दोनों अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। मामला किसनपुर थाना क्षेत्र के परसा से जुड़ा है। 12 अक्टूबर 2019 को सूचक जगदीश यादव ने 29 वर्षीय विष्णुदेव यादव के अपहरण को लेकर 10 लोगों को नामजद करते हुए थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पुलिस की जांच के मध्य विष्णुदेव का शव बरामद हुआ और हत्या की धारा जोड़ी गई। मामले में सात लोगों की संलिप्तता बताई गई। पुलिस ने कोर्ट में ट्रायल के दौरान 12 गवाह की जानकारी दी और 11 गवाह ही प्रस्तुत किए।

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