सुपौल । शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन भक्तों ने माता के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा अर्चना की। मंदिरों में पंडितों के वेद ध्वनि एवं दुर्गासप्तशती के पाठ से पूरा इलाका भक्तिमय हो गया है। माता के मंदिर में पूर्ण विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जा रही है। साथ ही प्रशासनिक दिशा-निर्देशों का भी पालन किया जा रहा है।
आज होगी मां ब्रह्मचारणी की पूजा
आदि शक्ति श्री दुर्गा का दितीय रूपांतर श्री ब्रह्मचारणी हैं। इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इसलिए ये तपश्चारिणी और ब्रह्मचारणी के नाम से विख्यात है। नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाएगी। सुखपुर निवासी पंडित विष्णु झा ने बताया कि ब्रह्मचारणी की पूजा के दौरान साधकों को अपना चित्त स्वाधिष्ठान चक्र में स्थिर कर अपनी साधना करनी चाहिए। इनके पूजन से स्वाधिष्ठान चक्र जागृत होने की सिद्धियां स्वतः प्राप्त हो जाती है। श्री ब्रह्मचारणी भक्तों व साधकों को अनंत फल देने वाली देवी है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, और संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है। मां ब्रह्मचारणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय के साथ-साथ संपूर्ण एश्वर्य एवं सुख-शांति की प्राप्ति भी निश्चित प्राप्त होती है।

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