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हरि कथा के चौथे दिन भक्त नामदेव के जीवन चारित्र को किया गया प्रस्तुत, कहा- भक्त नामदेव के प्रेम से वशीभूत होकर भगवान कई बार हुए प्रकट

सुपौल। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वावधान में पुरानी पुलिस लाइन सुपौल में आयोजित श्री हरि कथा के चतुर्थ दिवस गुरूवार को प्रवचन करते हुए संस्थान के संस्थापक व संचालक दिव्य गुरु सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुमति भारती जी ने प्रवचन करते हुए महाराष्ट्र में जन्में भक्त नामदेव के जीवन चारित्र को बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया। कहा कि भक्त नामदेव के प्रेम के वशीभूत होकर भगवान कई बार प्रकट हो जाया करते थे। मगर स्वयं भगवान उन्हें समझाते हैं कि नामदेव मेरे वास्तविक रूप को जानना है तो गुरु विशोभा खेचर की शरण में जाओ। गुरु की शरणागति होकर ही जीवात्मा का कल्याण है। स्वामी यादवेंद्रानंद जी ने बताया कि सामाजिक नैतिक व बौद्धिक प्रगति के लिए प्रत्येक व्यक्ति को गुरु की आवश्यकता है। आज का मनुष्य अधिक सुविधा सम्पन्न , साधन सम्पन्न है। परंतु सुख, संतोष के दृष्टि से देखे तो बहुत ज्यादा दिनहीन मलिन है। कारण मानवीय गरिमा को गिराने वाला आचरण, मर्यादाओं को तोड़ती परंपरा व्यक्ति और परिवार को संवेदनहीन बनाती जा रही है। जिस कारण मानव अवसाद ग्रसित हो रहा है। जिसके इलाज में विज्ञान असफल है। रामचारितमानस हो या गीता हमे गुरु के शरण में जाने को कहती है। अर्जुन भी जब अवसाद से ग्रसित था तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें ज्ञान प्रदान किया और अवसाद से मुक्त किया। गुरु शिष्य को एक नया जन्म देता है। इसलिए वह ब्रम्हा हैं, गुरु शिष्य की रक्षा करता है। इसलिए वह विष्णु समान हैं। वह साथ में शिष्य के अवगुणों का संहार भी करता है। इसलिए वह शिव समान है। आइए ऐसे पूर्ण गुरु की तलाश करें जो शास्त्र सम्मत है जो तत्वदर्शी हो। वहां जाने से ही हमारा कल्याण संभव है। मंच पर साध्वी सरिता भारती, गायक उमेश जी, पैड पर चंदन जी एवं तबला पर रामचन्द्र जी उपस्थित थे। हरि कथा के साथ साथ स्वामी जी द्वारा सुबह में योगा प्राणायाम करा कर क्षेत्रवासियों के शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। 

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