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प्रतापगंज : बिहार की भूमि को सदैव धर्म क्षेत्र कहा गया : जैन मुनि डॉ ज्ञानेंद्र

सुपौल। बिहार की भूमि बहुत ही पवित्र भूमि है। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म बिहार के क्षेत्रियकुंड ग्राम में हुआ था। बिहार महावीर के अलावे अनेकों महापुरुषों में महात्मा बुद्ध का विचरण क्षेत्र रहा है। हमारे सभी तीर्थंकरों का भी विचरण क्षेत्र रहा है। बिहार भूमि को सदैव धर्म क्षेत्र कहा जाता है। उक्त बातें अपने सात दिवसीय प्रवास के दूसरे दिन गुरुवार को प्रात: प्रवचन के क्रम में जैन मुनि डॉ ज्ञानेंद्र कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि कालांतर में बिहार की धरती पर जैन लोग बहुत रहा करते थे। लेकिन एक समय आया, जब यहां से जैन साधु संत दक्षिण भारत की ओर चले गये। जिससे बिहार छूट गया। आज जो जैन बिहार में प्रवास कर रहे हैं, वे सभी राजस्थान से आये हुए हैं। उन्होंने तीर्थंकर का शाब्दिक अर्थ बताते हुए कहा कि तीर्थंकर वीतराग को कहते हैं। जिसमें न तो राग है न द्वेष होता है। 


मुनि श्री ने कहा कि जब तक भीतर से व्यक्ति नहीं बदलता है, तब तक उसका कोई बदलाव नहीं होता है। लोग उपर की शुद्धि तो कर लेते हैं, लेकिन अपने भीतर की शुद्धि नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि धर्म व्यक्ति के जीवन परिवर्तन के लिए है। धर्म मानस, काम क्रोध और राग द्वेष के परिवर्तन के लिए है। धर्म का मूल उद्देश्य ही यही है। जैन धर्म वीतराग का धर्म है। जो वीतराग की साधना करते हैं, वह व्यक्ति कर्म से मुक्त होते हैं। इस मौके पर मुनि सुबोध कुमार जी ने कहा कि मनुष्य जीवन बहुत ही दुर्लभ और कीमती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन में ऐसा कौन कार्य करें कि उसकी मानवता में निखार आ जाये। हमारे जीवन में जब तक दया भाव, अहिंसा, करूणा का भाव रहता है, तब तक मनुष्य बुराई से अच्छाइयों की ओर बढ़ता रहता है।


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