सुपौल। समय सबसे बड़ा बलवान होता है। उसे पहचान कर चलने वाला व्यक्ति ही जीवन में सफल होता है। समय से बलवान कोई नहीं है। ये बातें अपने आठ दिवसीय प्रवास के सातवें दिन पारख जैन धर्मशाला में मंगलवार को प्रात:कालीन प्रवचन में जैन मुनि डॉ ज्ञानेंद्र कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने कहा है कि समय बलवान होता है। जो समय और समय की कीमत को जानता है वहीं महान होता है। समय को खोने वाला कमजोर होता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को दिया ज्ञान काम नहीं आता है। स्वंय में उपजा ज्ञान हीं उसके जीवन में काम आता है। वही व्यक्ति जीवन में ज्ञान का सही उपयोग कर आगे बढ़ सकता है। इसके लिए उन्होंने श्रावक समाज के बीच उनके दैनिक जीवन से जुडे़ व्यवसायिक क्षेत्र का उदाहरण रखते हुए कहा कि जब आप विभिन्न प्रकार का व्यवसाय करते हैं तो उसमें समय और ज्ञान का सही उपयोग करते हैं तभी लाभ कमाते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति बलवान है। लेकिन समय पर सोच कर कार्य नहीं करता है तो उसका बल किस काम का। उदाहरण स्वरूप बताते हुए कहा कि पहलवान कुश्ती लड़ते हैं। लेकिन वे समय पर पंच नहीं करते हैं तो हार जाते हैं। कहा कि जितना जल्दी व्यक्ति समय को पहचान कर अपने विवेक और ज्ञान का उपयोग कर लाभ उठाता है वही व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करता है। इस मौके पर मुनि सुबोध कुमार ने भी अभ्यदान की विवेचना की। उन्होंने कहा कि अभ्यदान करना और अभ्यदान देना ये दोनों अपने आप में एक बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि जैन साधुओं के लिए जब बात आती है तो वे छह जीव निकायों के प्रणियों के लिए अभ्यदाता होते हैं।वे मन से काया से किसी की हिंसा नहीं करते हैं। कहा कि गृहस्थ जीवन में जीवन यापन के लिए छोटी या बडी़ हिंसा प्रवृत्ति का सहारा लेना पड़ता है। परंतु अगर कोई जैन संतो या त्यागियों और महापुरुष के सम्पर्क में रहने वाला व्यक्ति वगैर भय के अभ्य जीवन जी सकता है। जहां उसे परम शांति का अनुभव होता है। हर कोई शांति के लिए भटकता रहता है। पर कब उसका भटकाव चालू होता है। जब वह प्रोढ़ युग से गुजरता है। तब उसे चार धाम तीर्थ या संतों की संगत की तलाश याद आने लगती है। उसके सामने ऐसा पल उसके सामने आता है जब उसे शांति और पुण्य आदि की आवश्यकता महसूस होने लगती है। मुनिवर ने कहा कि काम ऐसा करो कि नाम हो जाये और नाम ऐसा करो कि काम हो जाये। इस मौके पर हीरा लाल सेठिया, हनुमान नाहर, शंकर नौलखा, मनोज छाजेड, अक्षत सेठिया, हरी पूर्वे, मनखुश झा, अररीया से विजय जी, प्रभा वैध, प्रभा नौलखा, सरोज छाजेड, अंजू जैन सहित दर्जनों श्रावक थे।
प्रतापगंज : जो समय और समय की कीमत को जानता है वहीं महान होता है : डॉ ज्ञानेंद्र
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