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'हे राम बनाम जय श्री राम' विषय पर भाकपा माले द्वारा आयोजित की गयी परिचर्चा, बड़ी संख्या में शामिल हुए लोग

  • वक्ताओं ने कहा लगातार गांधी के देश को गोडसे के देश में तब्दील करने का चल रहा खेल  

सुपौल। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला परिषद के तत्वावधान में मंगलवार को जिला मुख्यालय स्थित मिलन मैरिज पैलेस में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर एक 'हे राम बनाम जय श्री राम' विषय पर विशेष परिचर्चा आयोजित की गयी। परिचर्चा की अध्यक्षता भाकपा जिला सचिव सुरेश्वर सिंह ने की। परिचर्चा में सीपीएम, माले, राजद व कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के अलावे अनेक बुद्धिजीवियों ने अपना-अपना विचार रखा। देश के सामने मौजूदा दौर में भाजपा-संघ परिवार की ओर से उत्पन्न खतरों की पृष्ठभूमि में गांधी की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। मौके पर अखिल भारतीय शांति-एकजुटता संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भाकपा के राज्य सचिव मंडल सदस्य रामबाबू कुमार ने कहा कि जब से केंद्र के सत्ता पर भाजपा की एकल बहुमत वाली मोदी सरकार काबिज हुई है। तब से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वैचारिकी प्रभावी हुई है। लगातार गांधी के देश को गोडसे के देश में तब्दील करने का खेल चल रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारत के स्वाधीनता संग्राम के दौरान उपजी समावेशी राष्ट्रीय विरासत के साथ-साथ आजादी के बाद भारतीय जनगण के विविध हिस्सों द्वारा अपने संघर्षों की वीणा पर हासिल की गयी उपलब्धियां दांव पर लगी हुई है। राष्ट्रीय संपदा को मोदी सरकार पूंजीपतियों के हवाले कर रही है। उनके अच्छे दिन आ गये हैं, गरीबी अमीरी के बीच की खाई बेइंतहां बढ़ती चली जा रही है। लोकतांत्रिक प्रतिरोध को दबाने और विपक्ष को खामोश करने के लिए संवैधानिक संस्थाओं का धड़ल्ले से दुरुपयोग किया जा रहा है। समाज में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए नफरत का माहौल तैयार करने के लिए राम नाम तक का दुरुपयोग करने का सिलसिला अनवरत जारी है। 


भारतीय परंपरा में राम की विरासत की महत्ता के बाबत श्री कुमार ने कहा कि ' हममें तुममें खड्ग खंभ में सबघट ब्यापे राम ' के विश्वास वाली परंपरा में जहां परस्पर अभिवादन के लिए 'रामराम', मरणोपरांत 'रामनाम सत्य है' जैसे मुहाबरों का प्रयोग आम चलन हो और जहां एक धर्मांध हिंदू गोडसे की गोलियों का शिकार होने पर गांधीजी की जुबान पर 'हे राम' का ही उच्चार होता हो वहां 'जय श्री राम' को उन्मादी धर्मांध नारे में तब्दील कर उसे विग्रह का बायस बनाना कतई मुनासिब नहीं है। बल्कि एक प्रकार से खतरे की घंटी है। इस प्रकार राम के नाम को बदनाम करने वाले वास्तव में गांधी के देश को गोडसे का देश बनाने के नापाक इरादे से प्रेरित लोग ही हो सकते हैं। आरंभ में गांधीजी के चित्र पर माल्यार्पण और मौन श्रद्धांजलि के उपरांत परिचर्चा का कार्यक्रम संपन्न हुआ। 



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