Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Breaking News

latest

प्रतापगंज : श्रावकों की जागरूकता पर ही साधु-साध्वियों का होता है पदार्पण

सुपौल। अपने आठ दिनों के प्रवास के बाद तेरापंथ धर्मसंघ के 11 वें आचार्य महाश्रमण जी के विद्वान शिष्य डॉ ज्ञानेंद्र मुनि और मुनि सुबोध कुमार जी को विदाई दी गयी। प्रतापगंज से उनका कारवां गुरुवार को राघोपुर के लिए प्रस्थान कर गया। गुरुवार की सुबह घने कोहरे के बावजूद निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पारख जैन भवन में महिला पुरूष बच्चे एकत्रित हो मुनिवर द्वय को भावभीनी वंदना के साथ पैदल यात्रा प्रारंभ कर विदा किया। इसके पूर्व बुधवार की रात मुनि श्री के प्रवास स्थल पारख जैन भवन में विदाई समारोह का आयोजन रखा गया। जिसमें महिला मंडल, युवक मंडल ने विदाई गीतिका की प्रस्तुति कर अपनी वेदना व्यक्त की। वहीं जैनश्वैताम्बर सभा के अध्यक्ष शंकर नौलखा, मानमल पारख, जितेन्द्र सेठिया, महेंद्र वैद आदि ने आठ दिनों के संतों के प्रवास से बनी धर्मप्रभावना का उल्लेख किया। साथ हीं जितेन्द्र ने मुनिवर से पुन: एक बार प्रतापगंज पधारने की अर्ज की। अपने विदाई सम्बोधन में मुनि डॉ ज्ञानेंद्र कुमार ने कहा कि आठ का अंक प्रतापगंज के लिए एक संयोग बना है। बताया कि आठ वर्ष पूर्व तेरापंथ धर्मसंध के 11वें आचार्य महाश्रमण जी अहिंसा यात्रा के क्रम में यहां पधारे थे। उसके बाद आठ वर्षों बाद मेरा प्रवास हुआ, जो आठ दिनों तक चला। आठ का संयोग कितना उपयोगी था। यह तो मैं नहीं कह सकता। लेकिन यह था कि इस शहर में लोग जिन चीजों को भूला दिया, उसे याद करने का अवसर और उसमें उत्साह देखा गया। जो यह साबित करता है कि प्रत्येक वर्ष जैन साधू साध्वियों का प्रवास होता रहे तो जो एक कमी है ज्ञान की वह पूरी होती रहेगी। 


उन्होंने कहा कि श्रावकों में श्रद्धा की कमी नहीं है। कमी है तो सिर्फ ज्ञान की है। उन्हें क्या करना है, कब करना है, कैसे करना और क्यों और कितना करना है मालूम नहीं है। जब श्रावक को सामान्य चीजों की जानकारी नहीं है तो बड़ी चीजों की कैसे होगी। उन्होंने कहा कि आपके क्षेत्र के आसपास कहीं भी जैन साधु साध्यवियों का विचरण हो तो आप सभी उनका दर्शन अवश्य करें। उन्होंने कहा कि संत तो आते हैं और चले जाते हैं। उनका काम ही आना और जाना है। लेकिन संत अगर डेरा जमाकर बैठ गये तो फिर वे संत नहीं महंथ हो जायेंगे। हम संत हैं महंथ नहीं। कुछ दिन रहे धर्म की ज्योति जलाई और चल दिये। हमारा काम है लोगों को जगाना और घर-घर में प्रेरणा देना है। उन्होंने कहा कि जिस तरह आठ दिनों तक धर्माचरण में आप सबों को जगाया है, उसे जीवन में उतारते रहना। श्रावकों की जागरूकता पर हीं साधु साध्वियों का पदार्पण क्षेत्रों में होता है। उन्होंने कहा कि धर्म संघ की आवश्यक चीजों को कंठस्थ करना तो ही आपकी परंपरा और धर्म आगे बढ़ेगा। विदाई समारोह का सफल संचालन मुनि सुबोध कुमार जी ने किया। इस मौके पर भारी संख्या में श्रावक समाज उपस्थित थे।

कोई टिप्पणी नहीं