सुपौल। मंगलमय और प्राणमय जीवन बनाने हेतु मानव को कार्य करने की जरूरत है। सकारात्मक सोच रखने से ही मानव को सफलता मिल सकती है। नकारात्मक सोच मनुष्य की ऊर्जा शक्ति को समाप्त करती है। इसलिए इन्हें कभी मन में मानव को नहीं आने देना चाहिए। उक्त बातें प्रतापगंज प्रखंड मुख्यालय स्थित पारख जैन भवन परिसर में तेरापंथ धर्म संघ के 11 में संत युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण के शिष्य मुनि डॉ ज्ञानेंद्र कुमार ने प्रवास कार्यक्रम के पांचवे दिन सोमवार को मंगल पाठ कार्यक्रम के तहत आयोजित विशेष प्रवचन के दौरान कही। अपने आधे घंटे के दिव्य, मार्मिक प्रवचन के दौरान लोगों को विस्तृत रूप से सदमार्ग पर चलने, बड़ों का आदर सत्कार करने, हमेशा दयालु बनने, निःस्वार्थ होकर सामाजिक उत्थान करने, बच्चों को अनुशासित तथा संस्कारिक बनाने का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा की कुछ स्वार्थी लोग अपने स्वार्थ के लिए बड़ी बड़ी संस्था में टूट डाल उन्हें भंग करने का कार्य करते है। जो समाज के लिए बिल्कुल ही अच्छा संदेश नही है। उन्होंने कहा की लोगों को निःस्वार्थ सामाजिक उत्थान के कार्य में लीन होना चाहिए।
कहा कि काफी छोटे से क्षेत्र से निकलर आचार्य तुलसी ने अपने दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर तेरापंथ धर्म संघ को तीव्र गति से बढ़ाने का कार्य किया है। इसलिए सभी समाज के लोगों को अपने समेत अपने वंशज, युवा पीढ़ी को भी धर्म कर्म के कार्य से जोड़ने का कार्य करें। कहा कई पाठ्यशाला, गुरुकुल स्थापित हुए है अच्छा आप अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा, संस्कार प्रदान करवा सकते है। लेकिन वहां से अर्जित ज्ञान, संस्कार का नियमित रूप से पुनर्भ्यास घर में पारिवारिक जनों द्वारा करना अति आवश्यक है। तभी बच्चे संस्कारिक होंगे। किताबी ज्ञान के अलावे धर्म ज्ञान जो की बच्चों को उनके माता पिता दादा दादी, मुनि श्री समेत अन्य देते आ रहे है वे भी सभी के लिए आवश्यक है। कहा की जैन धर्म की पहचान शाकाहार से होती है। क्योंकि अहिंसा ही परम धर्म है।
मुनि श्री ने कहा की हर वस्तु की पर्याय होती है इसलिए किसी कार्य से घबराने की जरूरत नहीं है। वहीं मुनि सुबोध कुमार ने कहा की नव वर्ष पर आहूत वृहद महामंगल पाठ तथा श्रावक सम्मेलन में पहुंचने मात्र से मानव सच्चाई के मार्ग पर चलने हेतु अग्रसर होते है। कहा की अपनी तेजस्वी ओजस्वी धर्म संग तेरापथ धर्म संघ है। जिसका एक ही मुख्य उद्देश्य है। ही समस्त समाज का कल्याण हो। लेकिन उसकी पूर्ति को लेकर सामाजिक लोगों को भी अपने जप तप कर्म धर्म से जतन करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा की हमारे मुनि श्री डॉ ज्ञानेंद्र जी ने 30 सालों में जो कार्य नहीं हुआ था वो केवल 30 दिनों में करने का कार्य किया है। वे बिहार प्रवास में आएं है तो आप सोच सकते है की कितने कार्य और करेंगे। आयोजित कार्यक्रम का संचालन मुनि सुबोध कुमार कर रहे थे। महामंगल कार्यक्रम में नेपाल समेत बिहार के सुपौल, खुटोना, निर्मली, फारबिसगंज, कटिहार, गुलाबबाग, पूर्णिया समेत कई स्थानों के जैन श्वेताम्बर श्रावक समाज महिला पुरुष बच्चे बच्चियां मौजूद थी। सामूहिक मंगल पाठ का कार्यक्रम सबसे अंत में हुआ। जिसमे लगभग 35 मिनट का श्लोक का पाठ सामूहिक रूप से हुआ। जबकि जैन धर्मालंबी महिलाओं द्वारा मुनिवर के स्वागत में करें नए वर्ष का सम्मान करें नव सूरज का सम्मान का स्वागत गीत की प्रस्तुति सर्वप्रथम दी।
वही आस्था गोठी के द्वारा नव वर्ष ये आया है नव सूरज का सम्मान, अहंग को नाश कर अर्हाम हम बन जायेंगे गीत की मधुर प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम को फारबिसगंज के निरल जी मरोठी, महेंद्र जी वैध, नौरतन जी वेंगानी, आलोक जी दुबर, देवेंद्र जी नहाटा आदि ने भी संबोधित कर समाज को धर्म के कार्य के प्रति जागरूक किया। मौके पर मानमल पारख, शंकर नौलाखा, हीरा लाल सेंठिया, विजय नौलाखा, शोरभ शर्मा, चतुर्भुज पांडेय आदि थे।





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