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कृषि के क्षेत्र में नयी-नयी तकनीकि का उपयोग कर किसान अपने फसल के पैदावार को बढ़ाएं : डीएम

सुपौल। संयुक्त कृषि भवन परिसर में मंगलवार को दो दिवसीय जिला स्तरीय कृषि यांत्रिकरण मेला का आयोजन किया गया। मेला का उद्घाटन डीएम कौशल कुमार सहित अन्य अधिकारियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। वर्ष 2023-24 में जिला स्तरीय कृषि यांत्रिकरण योजना अंतर्गत कुल 919 आवेदन प्राप्त हुआ। सुपौल जिला अंतर्गत अनुदानित दर पर कृषि यंत्रों के खरीद के लिए 17 जनवरी को ऑनलाईन लॉटरी के माध्यम से कुल 207 स्वीकृति पत्र निर्गत किया गया। जिसका कुल अनुदान की राशि 21,17,500 रूपये है। उक्त मेला में संयुक्त निदेशक (शष्य) सहरसा प्रमंडल सहरसा के आदित्य नारायण राय, जिला कृषि पदाधिकारी अजीत कुमार यादव, वन प्रमंडल पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, जिला गव्य विकास पदाधिकारी, सहायक निदेशक उद्यान, सहायक निदेशक प्रक्षेत्र, सभी अनुमंडल कृषि पदाधिकारी, सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, सभी कृषि समन्वयक, सभी प्रखंड उद्यान पदाधिकारी, सभी प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, सभी किसान सलाहकार, रामचन्द्र प्रसाद यादव अन्य प्रगतिशील कृषक उपस्थित थे।



कार्यक्रम को संबोधित करते डीएम श्री कुमार ने कहा कि सभी किसान कृषि यांत्रिकरण मेला का लाभ उठाएं। कहा कि कृषि यांत्रिकरण पर बिहार सरकार के विशेष पोर्टल है। बिहार सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा यांत्रिकरण हो। किसान लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को अपनाएं और कृषि बिल्कुल टैक्नोलॉजी बेस्ड हो। ताकि पैदावार अच्छा हो और किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिले। कहा कि कृषि की बहुत सारी योजनाएं होती है। मुख्यमंत्री भी किसानों की समस्या के प्रति काफी संवेदनशील रहते हैं। बिहार सरकार किसानों के हित में कई सारी योजनाएं समय-समय पर लाती है। उसी योजना के तहत यह कार्यक्रम है। डीएम ने कहा कि कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना की गयी है। सरकार से जो कृषि यंत्र वितरण के लिये लक्ष्य मिला था, उस टारगेट को पूरा किया गया है। कृषि के क्षेत्र में बहुत सारा कार्य किया जा रहा है। डीएम ने किसानों से अपील किया कि कृषि के क्षेत्र में तकनीकि को अपनाएं। कहा कि किसान अभी भी पारंपरिक खेती धान व गेहूं उगा रहे हैं और उसी में उलझे हुए हैं। यहां का मौसम अनुकूल है और प्राकृतिक संपदा भी अच्छा है। पानी की भरपूर मात्रा में उपलब्धता है। बीज की उपलब्धता हो जाती है। उर्वरक की कोई कमी नहीं होती है। इन सब चीजों में कोई कमी नहीं है। ऐसे में किसान नई तकनीक से बेहतर खेती कर लाभ कमा सकते हैं। कैश क्रॉप की जानकारी देते कहा कि इसमें कम लागत में किसानों को ज्यादा फायदा होता है। इसलिये इसके तरफ हमलोगों को अग्रसर करना चाहिये। बताया कि कुछ दिन पूर्व कृषि विभाग के सचिव आए हुए थे। कृषि सचिव ने कहा था कि यहां पर चाय की खेती, अनानास व ड्रैगन फ्रूट की खेती की संभावना को तलाशें। कहा कि बसंतपुर प्रखंड में कुछ किसान अपने खेत में चाय की खेती करने के लिये राजी हुए हैं। यह अच्छी बात है। अगर यह प्रयोग सफल हो गया तो यहां के किसानों के लिये काफी फायदेमंद रहेगा। बिहार के पूर्वोत्तर क्षेत्र किशनगंज में चाय बगान की खेती होती है। उसी तरह का मौसम सुपौल में भी है। लेकिन बसंतपुर व प्रतापगंज में अच्छी है। हमलोग वहां से शुरूआत कर रहे हैं। डीएम ने किसानों को इसे आगे बढ़ाने की अपील की। अनानास व ड्रेगन फ्रूट की खेती में भी लोगों को आगे बढ़ने की बात कही। कहा कि इसमें सफलता मिलने की संभावना ज्यादा है।


कहा कि जब वे सहरसा में डीएम थे तो अपने आवास में अनानास उगाते थे। अनानास यहां पूरे प्रखंड क्षेत्र में उगाया जा सकता है। इन फसलों में एक बार लागत लगता है तो इसका रिटर्न अच्छा होता है। डीएम ने कृषि पदाधिकारी को इस विजन को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। कहा कि कोई भी समस्या हो तो संज्ञान में दें। प्रशासन किसानों से मिल कर उन्हें प्रोत्साहित करेंगे। कहा कि किसान दिमाग में यह नहीं रखें कि ज्यादा उर्वरक फसल में देने से ज्यादा उपज होगा। इसलिये किसान सही मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करें। साथ ही सरकार द्वारा मिलने वाली सुविधा की लाभ लेने की बात कही। साथ ही किसानों से मिट्टी हेल्थ कार्ड बनाने की अपील की।
डीएम ने कहा इस बार धान की अच्छी उपज हुई और बहुत सारे किसान अपना धान पैक्स को दिया। जबकि खुले बाजार में भी धान की कीमत सरकारी एमएसपी के बराबर ही था। बताया कि पैक्सों पर किसानों का विश्वास बढ़ा है। धान खरीद मामले में 80 प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति हो चुकी है। डीएम ने कहा कि किसान यदि बाहर में धान बेंचे तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। कहा कि आपत्ति तब होती है, जब उन्हें पैक्स से कम कीमत पर धान बाहर में बेचना पड़ता है। डीएम ने कहा कि किसी भी फसल के पैदावार के लिये जो भी चीजें चाहिये उसके लिये अनुदान देती है। जब फसल तैयार होता है तो उसके मूल्य सही मिले, इसकी खरीदारी भी करती है। इसलिये किसानों को भी चाहिये कि कृषि के क्षेत्र में जो भी नयी-नयी तकनीकि है, उसका उपयोग करें। अपने फसल के पैदावार को बढ़ाएं।



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