सुपौल। जीवन हमारी पहली आवश्यकता ज्ञान है। ज्ञान है तो जीवन की समस्या का समाधान है। ज्ञान के बिना समस्या बढ़ती है। उक्त बातें तेरापंथ धर्म संघ के 11वें आचार्य महाश्रमण के विद्वान शिष्य डॉ ज्ञानेंद्र मुनि ने कही। दो दिवसीय प्रवास के दूसरे दिन प्रात: मंगलवार को हीरा लाल सेठिया के निवास पर प्रवचन में कहा कि हमें धर्म की प्रभावना करनी चाहिये। अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए आत्मीक ज्ञान बढ़ाना चाहिये। ज्ञान हमारे जीवन की पहली आवश्यकता है। ज्ञान से ही व्रत पालन और चरित्र पालन होगा। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन में नौ तत्व की मर्यादा है। उन्होंने जीव अजीव को परिभाषित किया। जिसमें चेतना और समझने की क्षमता है वह जीव है। जिसमें ये चीजें नहीं है वह अजीव है। उन्होंने कहा कि जीव अजीव के बिना संसार नहीं है। बताया कि जीव संसार में भटकता है क्योंकि वह संसार में जन्म मरण करता है। जीव अजीव के अंतर समझाते कहा कि एक कर्म बांधता है तो दूसरा तोड़ता है। उन्होने कहा कि जन्म से मोक्ष तक की प्रक्रिया के बीच बहुत लम्बी यात्रा है। उसमें कई साधना है। उन्होंने कहा कि जब तक भाव विशुद्धि की प्रक्रिया नहीं चलती तब तक आत्मा विशुद्ध नहीं होती है। कहा कि आत्मा को कल्याणकारी रखना चाहिये। भगवान महावीर कहते हैं कि मन शुद्धि होनी चाहिये। मन शुद्धि का उपाय है जप। इससे मन शांत के साथ मन में किसी प्रकार का दूसरा विचार नहीं आयेगा। मुनि सुबोध कुमार ने भी कहा कि व्यक्ति चाहता है कि मेरा जीवन बहुत सरल और सहज चले। लेकिन वो जितना चाहता है ठीक उसके विपरीत होता है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर का सिद्धांत हीं समता है। उनके समता भाव के सिद्धांत के सहारे आप धार्मिक यात्रा कर सकते हैं। जिससे आप अपने बहुमूल्य जीवन को सहज से सहज बना सकते हैं। इसके पूर्व सोमवार की रात आयोजित सम्मान समारोह में आशा गोठी, वंदना सेठिया और अक्षत सेठिया ने स्वागतगान का गायन कर मुनिश्री का अभिनन्दन किया। मौके पर जैन समाज के भाई बहन बच्चे शामिल थे।
प्रतापगंज : ज्ञान है तो जीवन के सभी समस्या का है समाधान : डॉ ज्ञानेंद्र मुनि
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