सुपौल। इंजीनियरिंग कॉलेज सुपौल में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग ब्रांच में वीएलएसआई डिजाइन विषय में 18 सीटों पर एमटेक कोर्स की अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से मंजूरी मिली है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ अच्युतानंद मिश्र ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा है कि एमटेक कोर्स के मंजूरी के साथ अब छात्रों को तकनीकी शिक्षा में स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। वीएलएसआई का अर्थ वैरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन अर्थात बहुत बड़े पैमाने पर एकीकरण होता है। यह एक एकल चिप पर लाखों या अरबों एमओएस ट्रांजिस्टर को जोड़कर एक एकीकृत सर्किट (आईसी) बनाने की प्रक्रिया है। वीएलएसआई डिजाइन नए इमर्जिंग क्षेत्र हैं, जिसमें देश विदेश में अपार संभावनाएं हैं। यह सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम की स्थापना करने और इसके विस्तार देने वाले माहौल को तैयार करेगा। खासकर भारत जैसे देश जिसने सेमीकंडक्टर उत्पादन में हाल में ही पदार्पण किया है। कॉलेज में पूर्व से बीटेक कोर्स में छः ब्रांचों का संचालन हो रहा। एमटेक कोर्स में कुल 18 सीटों की मंजूरी मिलना जिले के शैक्षणिक परिदृश्य में एक बड़ी उपलब्धि है। वही एमटेक पाठ्यक्रम की स्वीकृति पर हर्ष व्यक्त करते हुए संस्थान के एआईसीटीई कॉर्डिनेटर राकेश चौधरी ने बताया कि वीएलएसआई डिजाइन सेक्टर एक अच्छा पैकेज देने वाली इंडस्ट्री है। इसमें ऑटोमेशन की वजह से नौकरी जाने का डर भी नहीं है। नये सत्र इसी वर्ष (2024-2025 ) से प्रारंभ किये जायेंगे।
तकनीकी शिक्षा में स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए अब नहीं जाना पड़ेगा बाहर, 18 सीटों पर एमटेक कोर्स के लिए मिली मंजूरी
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