सुपौल। महिलाओं द्वारा कोसी व मिथिलांचल में किया जाने वाला रविवार का व्रत नियम व निष्ठा के साथ मनाया गया। छह माह से व्रती महलाओं द्वारा इस पर्व को सौंपने के लिए पिछले तीन दिनों से तैयारी में की जा रही थी। छठ की भांति ही इस पर्व में भी व्रती महिलाओं द्वारा शनिवार को नहाय खाय किया गया। मौके पर शनिवार की रात में व्रती महिलाएं भोजन करने के उपरांत रविवार को पूरे दिन उपवास रखी तथा नये वस्त्र धारण कर नदी, तालाब व घर के समीप ही बड़ी संख्या में पहुंची। जहां उन्होंने कोनियां में ठकुआ, नारियल सहित अन्य फलों से भगवान सूर्य को अर्घ अर्पित किया। इसके उपरांत महिलाओं द्वारा प्रसाद का वितरण किया गया।
जानकारी अनुसार अगहन मास से लेकर वैशाख तक छह महीनों के बीच प्रत्येक रविवार को व्रती महिलाएं निर्जला व फलहारी व्रत रखती है। मौके पर महिलाएं अपने-अपने ईष्ट देव को पकवान चढ़ा कर डोरा बांधने का कार्य पूर्ण किया। पर्व को लेकर मान्यता है कि इस व्रत को करने से रोग, दोष, कष्ट से मुक्ति तथा आत्मविश्वास में वृद्धि करने के लिये भी किया जाता है। रविवार को सूर्य देव का दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य देव की उपासना करने से मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपति की प्राप्ति और शत्रुओं का नाश होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से व्यक्ति कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस पर्व को मनानी वाली महिलाओं के परिवार में मान-सम्मान, धन, यश और साथ ही उत्तम स्वास्थय भी प्राप्त होता है। रविवार के व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है तथा स्त्रियों के द्वारा इस व्रत को करने से उनका बांझपन भी दूर करता है।
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