सुपौल। कोसी नदी के जल अधिग्रहण क्षेत्र में अत्यधिक बारिश होने से नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि के कारण तटबंध के अंदर बसे लोगों की एक बार फिर चिंता बढ़ने लगी है। मानसून प्रारंभ होते ही लोगों की बेचैनी बढ़ने लगी है। साथ ही लोगों को भय सताने लगा है। नेपाल के तराई एवं पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण यह समस्या उत्पन्न हो गई है। कोसी नदी में बाढ़ का पानी देख लोग नाव की व्यवस्था करने लगे हैं। जलस्तर में उतार चढाव के कारण तटबंध के भीतर दर्जनों गांवों के लोगों सरकारी स्तर पर नाव बहाल करने की मांग करने लगे हैं। तटबंध के अंदर लोगों ने बताया कि बाढ़ और सुखाड़ को लेकर कोशी वासियों की नियति बन गई है। कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ यह जिंदगानी है। लोगों का कोसी तटबंध के भीतर खेती बाड़ी के साथ साथ मवेशी भी है। पानी आ जाने से मूंग के फसलों को नुकसान पहुंचा है। वहीं सबसे बड़ी चिंता मवेशी के चारे की हो जाती है।
सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड क्षेत्र के करीब दर्जनों गांवों कोशी नदी से घिरा हुआ है। जिसमें दो पंचायत ढ़ोली व बनैनियां पूर्ण रूप से विस्थापित है। वहीं लौकहा, भपटियाही व सरायगढ़ आंशिक रूप से घिरा हुआ है। ढ़ोली पंचायत के ग्रामीण बिरेंद्र सिंह, देवानंद सिंह, रामानंद सिंह,मो कमाल, बसरुद्दीन,मो गुलाम,मो जमीर, उमेश सिंह, दिनेश सिंह, धीरेन्द्र कुमार सहित अन्य लोगों ने बताया कि कोसी नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि होना शुरू हो गया है। बढ़ते पानी को लेकर मूंग फसल में बाढ़ का पानी घिर गया है। वहीं सबसे बड़ी चिंता मवेशी की चारे की हो जाती है। नाव के सहारे लोग आवागमन करने लगे हैं। धीरे धीरे पानी में उतार चढाव हो रहा है। अंचलाधिकारी धीरज कुमार ने बताया कि पानी का लेबल बढ़ा है। बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए तैयारी पूरी की जा रही है। अभी सरकारी स्तर पर नाव का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है।

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