सुपौल। तेरापंथ धर्मसंघ, जैन धर्म के श्वेताम्बर संप्रदाय का एक प्रमुख अंग है। जिसकी स्थापना आचार्य भिक्षु द्वारा 1760 में राजस्थान में की गई थी। यह धर्मसंघ अपने कठोर अनुशासन सरलता और अहिंसा के सिद्धांतों के लिए जाना जाता है। यह बातें शांतिदूत आचार्य महाश्रमणजी के विद्वान् सुशिष्य मुनिश्री आनंद कुमार जी कालू ने किशनपुर में कही। कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ के अनुयायी अपने गुरु आचार्य के निर्देशों का पालन करते हैं। अपनी साधना में अनुशासन और समर्पण को प्राथमिकता देते हैं। यह संप्रदाय सामूहिक साधना और सामाजिक सुधार के लिए भी जाना जाता है। तेरापंथ धर्मसंघ का प्रमुख उद्देश्य अहिंसा, सत्य, और अपरिग्रह के सिद्धांतों का पालन करते हुए आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करना है। हमें अपने जीवन में अहिंसा, सत्य और संयम को अपनाकर समाज में शांति और सद्भावना का प्रसार करना चाहिए। तेरापंथ धर्मसंघ की विभिन्न शाखाएं देश-विदेश में फैली हुई हैं। जहां धर्मसभा, प्रवचन और ध्यान साधना के कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा धर्मसंघ द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है। हाल ही में तेरापंथ धर्मसंघ ने "अहिंसा यात्रा" के माध्यम से देशभर में अहिंसा और शांति का संदेश फैलाया। तेरापंथ धर्मसंघ का अनुशासन और अहिंसा पर आधारित जीवन शैली समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रही है। मुनिश्री किशनपुर बाजार स्थित स्थित सत्यदेव चौधरी निवास स्थान पर पहुंचे। जहां मारवाड़ी परिवार ने उनका भावपूर्ण स्वागत किया। मौके पर मुनिश्री विकास कुमार, राजेश कुमार सिंह, मुकेश अग्रवाल आदि लोग मौजूद थे।
किशनपुर : तेरापंथ धर्मसंघ ने अहिंसा यात्रा के माध्यम से देशभर में फैलाया अहिंसा और शांति का संदेश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)

कोई टिप्पणी नहीं