सुपौल। आज के दौर में जीवन की आपाधापी में वृद्धों का जीवन अभिशप्त हो गया है। वे निरीह और असहाय हैं। यह हमारे समाज की विडंबना है कि बूढ़ों की वह पूछ नहीं रह गयी है, जो आज से बीस-पच्चीस साल पहले थी। लेकिन उनका जीवन भी जीवन है, उनके सुख-दुख हैं, उनकी पीड़ा है। इन्हीं विविध उलझनों, उदासियों और जीवन के हर्षोल्लास को मैथिली के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ इंद्रकांत झा ने अपनी कविताओं की किताब 'हम बूढ़ छी' में अभिव्यक्त किया है। 'हम बूढ़ छी' कविता संग्रह के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ सुभाष चंद्र यादव ने ये बातें कही। लोकार्पण समारोह का आयोजन शहर के वार्ड नंबर 16 स्थित डॉ सुभाष चंद्र यादव के आवासीय परिसर में किसुन संकल्प लोक सुपौल के बैनर तले सम्पन्न हुआ। मौके पर गद्यकार और कवि डॉ महेंद्र ने कहा कि अवश्य ही मैथिली में यह पहला कविता संग्रह है, जो बूढ़ों-बुजुर्गों के जीवन दशा पर केंद्रति है। लोकार्पण में सहरसा से पहुंचे रंग निर्देशक और सहर्ष मिथिला के संपादक किसलय कृष्ण ने कहा कि यह अपने आप में अनूठी किताब है। कवि-कहानीकार कुमार विक्रमादित्य ने इस कविता संग्रह की भूरि-भूरि प्रशंसा की। कवि रामकुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि वृद्धों के विभिन्न मन:स्थितियों का चित्रण इस संग्रह में हुआ है, वहीं कथाकार-समीक्षक आशीष चमन ने कहा कि यह मैथिली काव्य जगत में एक विरल घटना की तरह है। सामाजिक कार्यकर्ता दीपिका चंद्रा ने कहा कि कवि इंद्रकांत झा इतनी उम्र में भी सक्रिय और रचनाशील हैं, यह बात चकित करने वाली है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए किसुन संकल्प लोक के सचिव केदार कानन ने कहा कि प्रो इंद्रकांत झा ने पचास से अधिक मौलिक एवं संपादित किताबों की रचना की है, जो अपने आप में एक शानदार उपलब्धि है।
किसुन संकल्प लोक के बैनर तले हुई परिचर्चा, प्रो इंद्रकांत झा के कविता संग्रह 'हम बूढ़ छी' का हुआ लोकार्पण
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