सुपौल। पिपरा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय महिचंदा में गुरुवार को विषाक्त भोजन खाने के बाद आधा दर्जन बच्चे बीमार हो गये। स्कूल में लगभग तीन घंटे तक उल्टी दस्त कर रहे बच्चे को हेडमास्टर अस्पताल पहुंचाने के बजाय स्कूल में घेरे रखा। जब परिजनों को पता चला तो दो-तीन घंटे बाद आनन-फानन में लोग अपने-अपने बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल ले गये। जानकारी अनुसार पिपरा प्रखंड क्षेत्र के तुलापट्टी पंचायत स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय महिचंदा वार्ड नंबर 04 में गुरुवार को एक बजे करीब मध्याह्न भोजन खाने से अचानक चार-पांच बच्चों को उल्टी-दस्त होने लगा।
बच्चों को उल्टी-दस्त होने की जानकारी अन्य बच्चों को हुई तो भोजन कर रहे बच्चों ने अपने अपने प्लेट में परोसे हुए खाना को देखा तो एक बच्चे ने देखा कि खाना में गिरगिट या बीच। जिसके बाद सभी छात्रों ने अपने अपने प्लेट में परोसे खाना को फेंक दिया। रसोइया रेखा देवी ने भी कहा खाना में कुछ विषाक्त पाया गया है। इस घटना की जानकारी मिलते ही विद्यालय परिसर में सैकड़ों की संख्या में अभिभावक पहुंचे और हेडमास्टर के विरुद्ध जमकर हो हंगामा करने लगे। वहीं विद्यालय के दर्जनों बच्चों ने बताया कि इस विद्यालय में बच्चों के लिए अलग खाना बनाया जाता है और शिक्षक के लिए अलग। अभिभावक का ये भी आरोप था कि बच्चों की तबियत बिगड़ी तो हेडमास्टर इंसानियत नहीं उल्टी-दस्त होने के बाद बच्चों को इलाज के लिए समय से अस्पताल नहीं भेजा। कहा कि जब रसोइया भी कह दिया कि खाना में कुछ विषेले चीज पाया गया तो हेडमास्टर को चाहिए था कि बच्चों को अस्पताल पहुंचाएं। लेकिन वे ऐसा नहीं किए। जिससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त हैं।
फिलहाल इलाज के लिये गये छात्र आशीष कुमार, अविनाश कुमार, प्रियांशु कुमार, नंदनी कुमारी की स्थिति सामान्य हैं। स्थानीय लोगों ने मामले की जानकारी बीडीओ सिवेश कुमार सिंह को दी। बीडीओ ने साधनसेवी मनोज कुमार गुप्ता को विद्यालय भेज कर मामले की जांच करने की बात कही। कहा मौके पर पहुंचे साधनसेवी को भी स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। काफी देर तक हुए हो हंगामा के बाद मामला शांत हुआ। इस संबंध में विद्यालय के प्रधान संतोष कुमार ने कहा कि विद्यालय के बच्चे का तबीयत गर्मी के कारण खराब हुआ है। जिसे इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है। जांच के बाद ही पता चल पायेगा कि बच्चे का तबीयत किस कारण से हुआ है।


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