- मैथिली कवि सतीश वर्मा के कविता संग्रह “सुपौल आ अन्य कविता सभ” का लोकार्पण समारोह संपन्न
सुपौल। सुपौल की सांस्कृतिक सरजमीं पर रविवार को साहित्यिक उत्सव का एक भव्य आयोजन हुआ। स्थानीय पब्लिक लाइब्रेरी एंड क्लब में मैथिली भाषा के चर्चित कवि और आलोचक सतीश वर्मा के कविता संग्रह “सुपौल आ अन्य कविता सभ” का लोकार्पण समारोह हर्षोल्लास और भावनात्मक ऊष्मा के साथ मनाया गया।
मैथिली साहित्यकार अरविंद ठाकुर ने संग्रह की कविताओं पर टिप्पणी करते हुए कहा, “सतीश वर्मा की कविताएं सुपौल की मिट्टी की सौंधी खुशबू से सराबोर हैं। यह संग्रह उनके मातृभूमि के प्रति भावनात्मक ऋण की अदायगी है। कोई भी इस ऋण को पूरा तो नहीं कर सकता, लेकिन यह प्रयास विरल और प्रशंसनीय है।”
जदयू जिलाध्यक्ष और क्लब के सचिव राजेंद्र यादव ने कहा कि वर्मा की कविताएं समाज के भीतर की बेचैनी, समरसता और संघर्ष को सशक्त रूप से प्रस्तुत करती हैं।
कथाकार शैलेंद्र शैली ने सतीश वर्मा की कविताओं को छद्म राष्ट्रवाद के वर्तमान दौर में एक ईमानदार और साहसी हस्तक्षेप बताया। वहीं कवि रघुनाथ मुखिया ने इस संग्रह को सुपौल शहर का गद्यात्मक आख्यान कहा। मुख्तार आलम ने इसे वंचित समाज की मुखर आवाज करार दिया।
समारोह के अंतिम सत्र में कविता गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें नेपाल से पधारी कवयित्री प्रियंका पांडे, मैथिली कवि रघुनाथ मुखिया, युवा कवि रविभूषण और अभिलाषा ने देशभक्ति और सामाजिक चेतना से भरी कविताएं सुनाकर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। संचालन युवा कवि रविभूषण ने किया।
इस मौके पर जदयू नेता भगवान प्रसाद चौधरी, कांग्रेस नेता विमल यादव, क्लब अध्यक्ष ब्रजेश सिंह, प्रो. बालकृष्ण लाल दास, आनंदी देवी, गोविंद अग्रवाल, समरेंद्र सिंह, सुब्रत मुखर्जी, राजद नेता विजय कुमार यादव, एडवोकेट अमर कुमार दास, अनुनय ठाकुर उर्फ राजा बाबू, खुर्शीद आलम, मिलाप चंद्र जैन, संजील वर्मा, संतोष विपुल, मधु कुमारी, सुभाष वर्मा, पंकज दास, धीरज दास समेत शहर के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
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