सुपौल। बिहार की कागज़ी शराबबंदी एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इस बार मामला सुपौल का है, जहां एक सरकारी अधिकारी कार्यक्रम के दौरान शराब के नशे में झूमते पकड़े गए। और यह कोई आम व्यक्ति नहीं, बल्कि सुपौल के मत्स्य पदाधिकारी शंभू कुमार थे, जो मंच पर मौजूद थे और खुद मंत्री के सामने ही नशे में धुत होकर हरकतें कर रहे थे।
घटना गुरुवार की है। शहर के टाऊस हॉल में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से मछुआरा दिवस सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में बिहार सरकार के मंत्री नीरज सिंह बबलू भी मौजूद थे। वहीं मंच पर मत्स्य पदाधिकारी शंभू कुमार की गतिविधियां संदिग्ध दिखीं वे लड़खड़ा रहे थे, बार-बार असंतुलित हो रहे थे।
डीएम सावन कुमार की नज़र पड़ी तो उन्होंने उन्हें मंच से नीचे बुलवाया। पास आते ही शराब की गंध साफ महसूस हुई। डीएम ने तुरंत उत्पाद विभाग को जांच के आदेश दिए, और सर्किट हाउस में अधिकारी की ब्रैथ एनालाइजर से जांच कराई गई।
जांच में पाया गया कि अधिकारी के शरीर में 10 मिलीग्राम प्रति 100 मि.ली. रक्त में अल्कोहल की मात्रा पाई गई यानी शराब पीने की स्पष्ट पुष्टि हुई। इसके बाद उन्हें उत्पाद थाना ले जाया गया, जहां एफआईआर दर्ज कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
सबसे बड़ी बात यह है कि यह उनका पहला मामला नहीं था। 9 मार्च 2024 को भी शंभू कुमार को भीमनगर चेक पोस्ट पर नशे में पकड़ा गया था। ऐसे में दोबारा पकड़े जाना गंभीर प्रशासनिक लापरवाही और नियमों की अनदेखी की ओर इशारा करता है।
डीएम ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए उनके निलंबन की अनुशंसा करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि यह अधिकारी का दोबारा अपराध है। एफआईआर में इसका उल्लेख किया गया है और विभाग को निलंबन हेतु पत्र भेजा जाएगा।
इस घटना ने न केवल सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखा दिया कि बिहार की शराबबंदी नीति का उल्लंघन अब सरकार के भीतर ही खुलेआम हो रहा है। सवाल यह है कि जब कानून लागू करने वाले ही कानून तोड़ने लगें तो फिर आम लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है?
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