सुपौल। नाबालिग के साथ दुष्कर्म के एक संगीन मामले में जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश षष्टम सह विशेष न्यायाधीश पोक्सो अधिनियम, श्री संतोष कुमार दुबे की अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया। अदालत ने आरोपी शंभू मुखिया को दोषी करार देते हुए 25 वर्ष सश्रम कारावास और 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर दोषी को अतिरिक्त 6 माह का कारावास भुगतना होगा।
इसके साथ ही कोर्ट ने पीड़िता को पांच लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश भी दिया है। मामला राघोपुर थाना कांड संख्या 159/2020 तथा पोक्सो कांड संख्या 34/2020 से संबंधित है।
जानकारी के अनुसार, राघोपुर थाना क्षेत्र के निवासी शंभू मुखिया ने अपने ही गांव की एक नाबालिग बालिका के साथ दुष्कर्म किया था। पीड़िता की मां द्वारा दर्ज प्राथमिकी में कहा गया था कि 3 जुलाई 2020 को वे खेतों में मजदूरी करने गई थीं। घर पर उनके दो नाबालिग बच्चे बेटा और बेटी अकेले थे। इसी दौरान आरोपी शंभू मुखिया ने उनके बच्चों को अपने घर बुलाया और बहला-फुसलाकर उनकी बेटी को कमरे में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया।
शाम को जब पीड़िता की मां घर लौटी, तो बेटी ने पूरी घटना बताई। पहले तो गांव में पंचायत बुलाई गई, परंतु आरोपी ने पंचों का फैसला मानने से इंकार कर दिया। इसके बाद पीड़िता की मां ने थाने में मामला दर्ज कराया।
सुनवाई के दौरान अदालत में कुल 9 गवाहों की गवाही कराई गई। दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(AB) तथा पोक्सो अधिनियम की धारा 4 व 6 के तहत दोषी ठहराया।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अर्थदंड व मुआवजा राशि पीड़िता को दी जाएगी, वहीं आरोपी द्वारा पहले से बिताई गई न्यायिक हिरासत की अवधि को सजा में समायोजित किया जाएगा।
इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो) नीलम कुमारी ने पैरवी की, जबकि बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अरुण झा, अनुनय कुमार तथा सौरभ कुमार सुमन ने बहस में हिस्सा लिया।
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