- नदी चिरान कार्य में निकली मिट्टी स्थल से कर दी गई गायब, फिर बस्ती कटाव का बहाना बना कागजों में समेटने की हो रही तैयारी
- झखाड़गढ़ पंचायत को जिलाधिकारी ने लिया है गोद, सामुदायिक भवन के मरम्मत कार्य में बरती जा रही अनियमितता
छातापुर (सुपौल)। प्रखंड में संचालित योजनाओं में मनमर्जी का खेल चल रहा है। सरकार द्वारा निर्माण सामग्रियों का निर्धारित दर एवं बाजार रेट में फर्क बताकर संबंधित योजना क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार की लेप चढ़ा रहे हैं और मॉनिटरिंग बॉडी सबकुछ जानकर भी अनजान बना है। यही कारण है कि अपनी करतूत छिपाने के लिए अधिकांश योजनाओं के संचालन से पूर्व स्थल पर सूचनापट्ट का अता पता नहीं होता। आधा कार्य निपटाने के बाद बोर्ड का निर्माण होता है और कार्य निष्पादन तक उसपर सूचनाएं अंकित किए जाने का रिवाज परवान चढ़ रहा है। यही नजारा शुक्रवार को प्रखंड के झखाड़गढ़ पंचायत स्थित वार्ड नंबर छह में दृष्टिगत हुआ। मनरेगा कार्यालय परिसर में पूर्व से निर्मित सामुदायिक भवन को पंचायत कार्यालय में तब्दील करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए सामुदायिक भवन व चाहरदीवारी की मरम्मत का कार्य तेज गति से हो रहा है। मरम्मत के नाम पर पहले तो लोकल नदी की रेत का प्रयोग कर दीवारों पर लेप चढ़ाई गई और अब जहां तहां से आधा अधूरा पूराने प्लास्टर को तोड़कर उस पर नयापन का तमगा लगाया जा रहा है। दीवार से सटाकर पुराने बोर्ड को नयापन दिया गया है, लेकिन सूचना अंकित करने की जगह पहले योजना को निबटाने की जोर आजमाईश हो रही है। सूचनापट्ट पर जानकारी अंकित नहीं रहने के कारण यह पता नहीं चल पा रहा है कि किस मद से और कितने की राशि से कौन सरकारी राशि का दुर्विनियोग कर रहा है। यहां तक कि पूछने पर भी संबंधित जानकारी देने से कतराते नजर आते हैं। मामले में जब संबंधित पंचायत के कनीय अभियंता सत्येंद्र कुमार से जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो वे सामने बैठे मुखियापति से अधिक प्रभावित नजर आए और योजना से संबधित जानकारी देने से परहेज बरता।
झखाड़गढ़ पंचायत को जिलाधिकारी ने लिया है गोद, बावजूद पूर्व की योजनाएं हैं लंबित
यह उस झखाड़गढ़ पंचायत की दशा है जिसे जिलाधिकारी ने स्वयं गोद लिया है। पंचायत का हश्र है कि राशि उठाव के बावजूद सात निश्चय की योजनाएं लंबित हैं जिसके निष्पादन की दिशा में सकारात्मक प्रयास नहीं हो रहा है। सुरसर नदी में हुए चिरान कार्य में बरती गई अनियमितता सरकारी राशि के बंदरबांट की कहानी बयां कर रही है तो चिरान कार्य के नाम पर नदी के मध्य से निकाली गई लाखों की मिट्टी को ट्रैक्टर से ढोकर गायब कर दिए जाने की कहानी बारेआम हो रही है। हालांकि चिरान कार्य के नाम पर नदी से निकाली गई मिट्टी से सुरक्षा बांध का निर्माण होना था, लेकिन करपरदारों ने मिट्टी गायब कर दिये जाने के बाद एक नया शगुफा निकाला कि वार्ड नंबर आठ की बस्ती को बचाने के लिए चिरान कार्य अनिवार्य है इसलिए इसे योजना कार्य में शामिल कर लिया जाए। वरीय अधिकारियों को अंधेरे में रखकर मनरेगा से उक्त चिरान कार्य को निष्पादित करने का प्रयास भी हुआ, लेकिन स्थल पर पहुंचे एक अधिकारी ने मिट्टी गायब हो जाने के दृष्य को आंखों से देखा और योजना की कागजी कार्रवाई पर रोक लगा दी। जानकार बता रहे हैं कि जिलाधिकारी के पंचायत को गोद लिए जाने के बाद एक बार फिर से उक्त योजना के क्रियान्वयन का प्रयास तेज हो गया है। बताया जा रहा है कि मानसून से पूर्व चिरान के तहत निकाली गई मिट्टी को नदी की धारा द्वारा बहा लिए जाने की नई कहानी गढ़ने की तैयारी चल रही है और संबंधित अपने करतूतों पर पर्दा डालने के प्रयास में जुटे हैं। नियमानुसार योजना के आरंभ से पहले स्थल पर सूचनापट्ट लगाकर संपूर्ण जानकारी अंकित करनी है और उसके बाद योजना कार्य का संचालन होना है। लेकिन प्रखंड में संचालित शायद ही कोई योजना हो जिसके आरंभ से पूर्व बोर्ड लगाकर जानकारी अंकित किये जाने के कायदे पर अमल हो रहा है। अब जबकि जिलाधिकारी के गोद लिए पंचायत में ही नियम को धता बताया जा रहा हो तो आमजन शिकायत किससे करें!
कोई टिप्पणी नहीं