- प्रदेश अध्यक्ष ने दशहरा से पूर्व वेतन भुगतान हेतू जिलाधिकारी से त्वरित कार्यवाई की मांग की
सुपौल। सरकार की शिक्षा विरोधी नीति के चलते आजाद भारत में राष्ट्र निर्माता शिक्षक दोयम दर्जे का जीवन जीने के लिए विवश है। समय पर वेतन नही मिलने की वजह से बुनियादी जरूरतों को भी पुरा करना दुष्कर हो गया है। इस भौतिकवादी युग में हर जगह उपेक्षा का दंश झेलना उनकी नियति बन गई है।
एक तरफ जहाँ सरकार दशहरा पर्व को ध्यान में देखते हुए सितंबर माह के अग्रिम वेतन भुगतान का पत्र जारी करती है, तो दूसरी ओर सुपौल के एसएसए मद से आच्छादित लगभग 6500 पंचायत-नगर निकाय के शिक्षक जुलाई से ही वेतन के लिए तरस रहे हैं। इधर बार-बार अनुनय-विनय के बाद विगत दिन तीन माह के वेतन के बदले राज्य से एक माह का आवंटन जिला को जारी किया गया, जो जिला शिक्षा कार्यालय के उदासीनता के चलते अभी तक समग्र शिक्षा के खाते में ही शोभा बढ़ा रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शिक्षकों के वेतन भुगतान में जरा भी रुचि नहीं रहती है। नतीजा हर बार शिक्षकों को अपने ही वेतन के लिए सड़क पर उतरने की नौबत आ जाती है। उक्त बातें बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष सह सुपौल जिलाध्यक्ष पंकज कुमार सिंह ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा।
उन्होंने कहा कि पांच दिन पूर्व समग्र शिक्षा के खाते में राज्य से राशि स्थानांतरित किया गया, जो अभी तक जिला कार्यक्रम पदाधिकारी( स्थापना )के खातें में स्थानांतरित नही हो पाया है। इस वजह से दशहरा जैसे महान पर्व में भी वेतन भुगतान पर संकट मंडराने लगा है। कहा कि पांच मिनट का कार्य पांच दिनों में नहीं हो पाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने दशहरा पर्व को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी से वेतन भुगतान की दिशा में त्वरित कार्यवाई की मांग किया है।
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