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सुपौल : ग्लोबल प्रोग्राम इंडिया ने बीएसएस कॉलेज परिसर में किया कार्यशाला आयोजित

आयोजित कार्यशाला में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं ने लिए कई अहम फैसले 

प्रमोद कुमार यादव 

सुपौल। जिला मुख्यालय अंतर्गत बीएसएस कॉलेज परिसर में स्थित सेमिनार हॉल में ग्लोबल प्रोग्राम इंडिया योजना अंतर्गत जिला स्तरीय डीडीएमपी एवं सहभागी  आपदा जोखिम विश्लेषण पीडीआरएल पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन एमडीएसएसएस, मुजफ्फरपुर एवं कैरिटास इंडिया के सहयोग से किया गया। 

 कार्यशाला में मुख्य वक्ता कृषि वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार ने कहा कि पूरे विश्व में अब कृषि को काफी ध्यान में रख कर कार्य करना होगा। उन्होंने खेतिहर मजदूर किसानों से आह्वान किया कि वे मेहनत कर आॅर्गेनिक सब्जी का उत्पादन करें जिससे कैंसर बीमारियों की रोकथाम हो सके। सुपौल जिला में मुख्य रूप से    कोसी तटबंध के अंदर मूंगफली की अपार संभावनाएं हैं। कृषि विज्ञान केंद्र में समय-समय पर मशरूम वोकेशनल ट्रेनिंग आयोजित की जाती है।  मशरूम खाने से मनुष्य में कई तरह की बीमारियां दूर होती है। ज्यादा से ज्यादा लोग मशरूम का प्रयोग करे। वही एनडीआरएफ के अंकुश बाबू ने भोपाल गैस    त्रासदी पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सुपौल जिले में डीडीएमपी के चेयरपर्सन जिलाधिकारी होते हैं और एनडीआरएफ बाढ़ सहित अन्य विभिन्न तरह की आपदाओं पर सुपौल जिले में कार्य करती है। 



वही जिला आपदा प्रभारी पदाधिकारी अनंत कुमार ने कहा कि बाढ़ भूकंप जागरूकता, बाढ़, सुखाड़, चक्रवात और यह विभिन्न तरह की समस्याएं क्षेत्र में होती है। सुपौल खासकर बाढ़ प्रभावित व भूकंप के 5वे जोन में आते हैं। बाढ़ पूर्व तैयारी बाढ़ के समय वह बाढ़ के बाद की तैयारी प्रमुख रूप से होती है। वहीं रमेश कुमार ने कहा कि आपदा को लेकर सुपौल जिले में विभिन्न संस्थाओं की बाठक खासकर हर महीने आयोजित होनी चाहिए। इसमें सभी सीएसओ और सीबीओ की सहभागिता पर चर्चा होनी चाहिए। एमडीएसएस संस्था के मोहम्मद आजाद आलम ने कहा कि हमारी संस्था सरायगढ़ प्रखंड के विभिन्न गांव में कोसी बाढ़ पूर्व तैयारी व सुखाड़ एवं किसानों को संस्था अपनी तरफ से धान की बीज देकर भारतीय पुरानी  खेती को प्रेरित करती है। महेश कुमार ने कहा हम लोग कोसी के विभिन्न गांवों में भी तटबंध के बीच जाकर बाढ़ की स्थिति को लेकर लोगों को जागरूक करते हैं। पानी कब आएगी, कितनी आएगी, कैसे बचाव करनी चाहिए, फिर बाढ़ के बाद क्या इसका दुष्प्रभाव पड़ता है इस पर लोगों को जागरूक किया जाता है। वहीं कोशी प्रहरी के सचिव रामचंद्र यादव ने कहा कि हमलोग जन्मजात बाढ़ की विभीषिकाओं को झेलते रहे है। तटबंध के अंदर हमारी संस्था मरौना प्रखंड अंतर्गत खुखनाहा गांव में मुख्य रूप से बाढ़, शिक्षा और स्वास्थ्य पर कार्य कर रही है। 

  विकल्प द सोल्यूशन के अध्यक्ष रघुवंश कुमार ने बताया कि विकल्प द सोल्यूशन संस्था सामाजिक क्षेत्र में काम कर रही है। संस्था द्वारा आपदा प्रबंधन के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, विधिक सहायता एवं जागरूकता सहित अन्य क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है। रेडक्रॉस के सचिव राम कुमार चौधरी ने कहा कि सुपौल जिले में विभिन्न जगहों पर बाढ़ पीड़ितों और आगजनी के बीच समय-समय पर सामग्री का वितरण करती है। प्रशांत कुमार सिंह ने कहा कि संस्थाओं की बैठक हर माह आयोजित किया जाए ताकि अपने विचार एक दूसरे के साथ आदान-प्रदान होता रहे।

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