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सिमराही : श्रीराम कथा के पांचवां दिन भक्ति, भाव और परंपरा से सराबोर हुआ पूरा क्षेत्र


सुपौल। सिमराही बाजार में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव के पांचवें दिन शुक्रवार को भक्तिभाव और धार्मिक उल्लास का अनूठा दृश्य देखने को मिला। सुबह से ही श्रद्धालु कथा स्थल पर जुटने लगे और दोपहर तक पूरा परिसर भक्तों से खचाखच भर गया। हर किसी के चेहरे पर भक्ति, उत्साह और आनंद की चमक साफ झलक रही थी।

कथा का वाचन पूज्य संत श्री मुरलीधर जी महाराज द्वारा किया जा रहा है। शुक्रवार की कथा में उन्होंने भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रसंगों का सुंदर और भावपूर्ण वर्णन किया, जिसे सुनकर पंडाल बार–बार तालियों और "जय श्रीराम" के जयघोष से गूंज उठा।

महाराज जी ने कथा की शुरुआत गुरु विश्वामित्र के साथ भगवान राम और लक्ष्मण के जनकपुरी की यात्रा से की। रास्ते में महर्षि गौतम की पत्नी अहिल्या का उद्धार कैसे हुआ—इस प्रसंग को अत्यंत भावुक शैली में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बताया कि श्राप के कारण पत्थर बनी अहिल्या जैसे ही भगवान राम के चरण–रज से स्पर्शित हुईं, वैसे ही मुक्त हो गईं। यह प्रसंग भगवान के नाम और स्पर्श की दिव्यता को दर्शाता है।

कथा के पांचवें दिन का सबसे मनोहारी क्षण पुष्प वाटिका का रहा। महाराज जी ने बताया कि जब श्रीराम गुरु विश्वामित्र के लिए फूल तोड़ने गए, तभी माता सीता से उनका पहला दिव्य मिलन हुआ। इस वर्णन के दौरान पूरा पंडाल शांत होकर भक्ति–भाव में डूब गया। भक्तों के चेहरों पर दिव्य आनंद की झलक दिखती रही।

कथा के अंतिम चरण में महाराज जी ने जनक जी की प्रतिज्ञा और शिव धनुष भंग का प्रसिद्ध प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि जहां अनेक राजा धनुष उठाने में विफल रहे, वहीं श्रीराम ने उसे सहजता से उठाकर एक ही क्षण में बीच से तोड़ दिया। इस प्रसंग के साथ ही पूरा पंडाल "जय सिया राम" के नारों से गूंज उठा।

गौरतलब है कि यह नौ दिवसीय भव्य श्रीराम कथा 10 नवंबर से प्रारंभ हुई है और 18 नवंबर तक प्रतिदिन आयोजित की जाएगी। हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने पहुंच रहे हैं। महाराज श्री ने सभी भक्तों से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर कथा श्रवण करने और धर्मलाभ प्राप्त करने की अपील की है।

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