सुपौल। नवरात्र के दूसरे दिन सोमवार को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की गई। भक्तों ने अपने घरों एवं मंदिरों में जाकर देवी की आराधना की। इस दौरान शहर के विभिन्न देवी मंदिरों में सुबह से हीं लोगों की भीड़ लगी रही। पूजा-अर्चना के बाद घर एवं मंदिरों में दुर्गा सप्तशती की पाठ भी किया गया। बताया कि ब्रह्म का अर्थ है तपस्या व चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली देवी। मां के हाथों में अक्ष माला और कमंडल होता है। मां ब्रह्मचारिणी के पूजन से ज्ञान सदाचार लगन, एकाग्रता और संयम रखने की शक्ति प्राप्त होती है और व्यक्ति अपने कर्तव्य पथ से भटकता नहीं है। मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति से लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। कहा जाता है कि मां पूजा करने वाले भक्त जीवन में सदा शांत चित्त और प्रसन्न रहते हैं। उन्हें किसी प्रकार का भय नहीं सताता
नवरात्र के तीसरे दिन मंगलवार को देवी के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा का पूजन किया जायेगा। देवी चंद्रघंटा के सिर पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र नजर आता है। यही वजह है कि माता के भक्त उन्हें चंद्रघंटा कहकर बुलाते हैं। देवी चंद्रघंटा का वाहन सिंह होता है। मां की 10 भुजाएं, 3 आंखें, 8 हाथों में खड्ग, बाण आदि अस्त्र-शस्त्र हैं। इसके अलावा देवी मां अपने दो हाथों से अपने भक्तों को आशीष देती हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से मन के साथ घर में भी शांति आती है और व्यक्ति के परिवार का कल्याण होता है।

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