सुपौल। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल के सभा भवन में मंगलवार को तंबाकू मुक्त ग्रामीण बिहार बनाने के उद्देश्य से एक दिवसीय ओरिएंटेशन सह ट्रेनिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया. सीएस डॉ ललन कुमार ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में जिले भर के सभी विभागों के अधिकारी एवं प्रतिनिधि मौजूद थे. कार्यशाला में तंबाकू के दुष्प्रभाव के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत से चर्चा की गयी. इसके बाद बिहार इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक स्टडीज पटना के द्वारा प्रेजेंटेशन एवं वीडियो के माध्यम से तंबाकू के दुष्प्रभाव एवं रोकथाम को लेकर विस्तृत जानकारी दी गयी. प्रभारी सिविल सर्जन डॉ ठाकुर ने तंबाकू से होने वाले कई गंभीर बीमारियों के बारे में बताया. कहा कि लोगों में तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है. खासकर ग्रामीण इलाकों में तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रमों के तहत प्रचार प्रसार पर लोगों को जागरूक किया जाएगा.
तंबाकू मुक्त समाज बनाना हमारा दायित्व
बीआईईएस पटना के प्रोग्राम कोडिनेटर चितरंजन सहाय ने बताया कि कैंसर के कुल रोगियों में 40 प्रतिशत किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करने के कारण अन्नतः कैंसर जैसे गंभीर बीमारी के चपेट में आकर मौत के आगोश में असमय चले जा रहे हैं. तंबाकू पर रोकथाम आवश्यक है. वर्ष 2003 में कोटपा कानून बनाया गया था. बाबजूद शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में तंबाकू पर अंकुश नहीं लग पाया है. शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में एनफोर्समेंट चलाने की सख्त आवश्यकता है. कहा कि हमारे संस्थान को भी ग्रामीण परिवेश को तंबाकू मुक्त कराने हेतु सरकार द्वारा चलाये जा रहे तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम में सहयोग करने का दायित्व मिला है. तंबाकू मुक्त समाज बनाने में सरकार के साथ-साथ आम जनों एवं विभिन्न निजी संस्थाओं को हाथ में हाथ मिलाकर काम करना होगा. साथी श्री साइन कोटा 2003 में बने कानून के विभिन्न धाराओं के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी.
इस अवसर पर डीपीएम मो मिन्नतुल्लाह, जिला योजना समन्वयक बालकृष्ण चौधरी, गैरसंचारी रोग पदाधिकारी डॉ ममता कुमारी, डॉ अभिषेक कुमार बच्चन, डॉ इंद्रदेव यादव, डॉ शलेन्द्र कुमार, डॉ नवीन कुमार, डॉ कल्पना भारती, आशीष सिंह, राहुल कुमार, नेहा कुमारी आदि मौजूद थे.
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